
नई दिल्ली । महाराष्ट्र (Maharashtra) में आगामी बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन (Maha Vikas Aghadi alliance) का हिस्सा कांग्रेस (Congress) ने ऐलान किया है कि वह इस चुनाव को अकेले लड़ेंगे। इसकी वजह से उद्धव गुट शिवसेना और कांग्रेस (Shiv Sena and Congress) भी चुनाव में आमने-सामने आ गए हैं। इस सब के बीच रविवार को उद्धव गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने पार्टी की जीत पर भरोसा जताते हुए कहा कि असली शिवसेना का बीएमसी से खास रिश्ता रहा है। पार्टी 30 सालों से यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखे हुए हैं। मुंबई में कांग्रेस को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं।
वीडियो के जरिए जारी किए गए बयान में दुबे ने कांग्रेस को पार्टी को मुंबई चुनाव के लिए पर्यटक करार दिया। उन्होंने कहा, “मुंबई में कांग्रेस पार्टी को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। वह पिछले तीन दशकों से लगातार मुंबई नगर निगम चुनाव हारती आ रही है, तो ऐसे में वह 2026 में कौन सा चमत्कार कर देंगे? मुंबई में कांग्रेस एक पर्यटक की तरह आती है, वह आते हैं, घूमते हैं, होर्डिंग लगाते हैं, चुनाव हारते हैं और फिर घर चले जाते हैं।”
विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने वाली इन पार्टियों के बीच बीएमसी चुनाव को लेकर चीजें साफ है। अविभाजित शिवसेना का इस चुनाव में सिक्का चलता था। ऐसे में उद्धव गुट किसी भी तरह से इस पर बंटवारा नहीं चाहता है। कांग्रेस आलाकमान ने भी इस चुनाव की जिम्मेदारी स्थानीय नेताओं पर छोड़ रखी है, जिन्होंने उद्धव गुट से अलग चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
उद्धव गुट की तरह से जारी किए गए बयान के बाद कांग्रेस नेता सचिव सावंत इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा, “हम पहले ही अपनी स्थिति को स्पष्ट कर चुके हैं। कांग्रेस पार्टी चुनाव में अकेले बढ़ना चाहती है और उसके पीछे वैचारिक विचार है। हमें इस मामले पर कोई जल्दबाजी नहीं है। पूरी पार्टी ने सोच समझकर यह फैसला लिया है। हम उन सभी पार्टी के खिलाफ लड़ेंगे जो धर्म, जाति, क्षेत्र और भाषा के आधार पर टकराव पैदा करती हैं।
दरअसल, यह विवाद उद्धव गुट द्वारा महाविकास अघाड़ी में राज ठाकरे की पार्टी को शामिल करने के बाद शुरू हुआ। कांग्रेस राज ठाकरे के साथ चुनाव लड़ने में असमंजस महसूस कर रही थी। एनसीपी शरद गुट के प्रमुख शरद पवार ने काफी कोशिश की की विपक्षी एकता बनी रहे लेकिन कांग्रेस और उद्धव गुट में से कोई भी इस पर मानने को तैयार नहीं था।
आपको बता दें, बीएमसी पर पिछले कई सालों से शिवसेना का कब्जा रहा है। शुरुआत से ही वह भाजपा के साथ मिलकर यहां का शासन चलाती है। 2017 में हुए पिछले चुनाव में अविभाजित शिवसेना यहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी तो वहीं भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी। उद्धव गुट इसी जीत का इंतजार कर रहा है। हालांकि, उनके लिए 2022 में हुए विभाजन के बाद ऐसा करना आसान होगा।
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