
नई दिल्ली । मस्जिद में लाउड स्पीकर(loud speaker) इस्तेमाल करने की अनुमति देने से बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court)की नागपुर बेंच(Nagpur Bench) ने इनकार कर दिया है। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि कोई भी धर्म लाउडस्पीकर का उपयोग करके धर्म का पालन करने के लिए नहीं कहता है। ऐसे में इसे मौलिक अधिकार के रूप में नहीं मांगा जा सकता।
न्यायमूर्ति अनिल पंसारे और राज वकोड़े की पीठ ने ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी धर्म यह नहीं कहता है कि प्रार्थना लाउड स्पीकर या ढोल नगाड़ों के जरिए ही की जाए। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘याचिकाकर्ता यह साबित करने में असमर्थ रहा कि लाउड स्पीकर धार्मिक अभ्यास के लिए अनिवार्य है। इसलिए याचिकाकर्ता लाउडस्पीकर लगाने का अधिकार नहीं मांग सकता। याचिका खारिज की जाती है।’
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि अन्य नागरिकों को भी शांत वातावरण में रहने का अधिकार है, खासतौर पर छोटे बच्चों, बुजुर्गों, बीमार और मानसिक तनाव से ग्रस्त लोगों को।
मामले को ध्वनि प्रदूषण के जोड़ते हुए कोर्ट ने कहा कि यह प्रदूषण एक गंभीर खतरा है। यह लगातार फाइट और फ्लाइट जैसी स्थिति को पैदा करता है, जिससे शरीर में कार्टिसोल और अन्य हानिकारिक रसायन बढ़ जाते हैं। इससे हार्ट अटैक, चिड़चिड़ापन, थकान, सिरदर्द और बीपी की समस्या आ सकती है। इसके बाद कोर्ट ने कुछ मामलों का उदाहरण देते हुए महाराष्ट्र सरकार से इस मुद्दे पर संवेदनशील रहने और प्रभावी उपाय अपनाने को कहा।
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