
मुंबई । “हमारे पास जांच एजेंसियों यानी ईओडब्ल्यू (EOW) और सीबीआई (CBI) के आचरण को दर्शाने के लिए कोई शब्द नहीं है. हम कह सकते हैं कि हम निराश हैं.” बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने यह टिप्पणी मंगलवार को उस समय की जब उसकी एक बेंच ने जय कॉरपोरेशन लिमिटेड (जय कॉर्प लिमिटेड) के निदेशक/प्रवर्तक आनंद जयकुमार जैन (Anand Jaikumar Jain) द्वारा की गई धोखाधड़ी की गतिविधियों की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन के निर्देश दिए.
जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने कहा, “हमें लगता है कि EOW या CBI के पुलिस अधीक्षक द्वारा कथित अपराधों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच नहीं होगी, और इसलिए, CBI के जोनल डायरेक्टर द्वारा एक विशेष टीम का गठन किया जाना चाहिए, ताकि इस प्रकार के अपराधों की प्रभावी जांच सुनिश्चित की जा सके.”
हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी
बेंच ने आगे कहा, “जांच और न्याय प्रशासन में विश्वास स्थापित करने की आवश्यकता सबसे बड़ी चिंता का विषय है. इस मामले का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असर पड़ता है.” बेंच कथित घोटाले की व्यापकता पर विचार कर रही थी, जो हजारों करोड़ रुपये का है, जिसमें कई अधिकार क्षेत्र शामिल हैं. इसमें राष्ट्रीयकृत बैंक और मॉरीशस स्थित निजी इक्विटी फंड के साथ-साथ यूएसए, ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ सीमा पार लेनदेन शामिल हैं.
पीठ एक जन अधिकार कार्यकर्ता शोएब रिची सेक्वेरा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें व्यवसायी आनंद जयकुमार जैन और उनकी फर्मों से जुड़े कथित वित्तीय भ्रष्टाचार की जांच की मांग की गई थी. सिक्वेरा की याचिका में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दर्ज कई शिकायतों का उल्लेख किया गया था, जिसमें सार्वजनिक धन की गबन, धोखाधड़ी व्यापार, मनी लॉन्ड्रिंग, और शेल कंपनियों के माध्यम से धन का राउंड-ट्रिपिंग का आरोप था. अदालत को सूचित किया गया कि 2021 और 2023 में कई शिकायतों के बावजूद, जांच एजेंसियां ठोस कार्रवाई करने में असफल रही थीं. याचिकाकर्ता का आरोप है कि 4,255 करोड़ रुपये की निवेशक राशि और अतिरिक्त सार्वजनिक धन को ऑफशोर खातों और शेल कंपनियों के माध्यम से जांच से बचने के लिए भेजा गया.
बेंच का अहम बयान
बेंच ने EOW की आलोचना करते हुए कहा कि बिना कोई प्रारंभिक जांच किए, उसने केवल शिकायतों को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को भेज दिया. इसके जवाब में, अदालत ने SEBI, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO), और महाराष्ट्र अपराध जांच विभाग (CID) को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने का निर्देश दिया. इन एजेंसियों को अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट एक निश्चित अवधि के भीतर प्रस्तुत करने के लिए कहा गया.
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