
नई दिल्ली । महाराष्ट्र(Maharashtra) से एक अजीब मामला(Strange case) सामने आया है। यहां पर एक निजी कॉलेज(private college) में रसायन विज्ञान(chemistry) के एक प्रोफेसर ने अपने दोस्तों और साथी शिक्षकों के बीच अपनी इज्जत बढ़ाने के लिए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी डॉक्टर जितेंद्र सिंह(Technology by Dr. Jitendra Singh) के फर्जी साइन किए और एक लेटर हेड के जरिए खुद को एक प्रतिष्ठित अवार्ड(prestigious award) भी दे दिया। इस फर्जी पत्र के माध्यम से प्रोफेसर ने अपने साथियों के बीच में दावा किया कि उसे प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार दिया जा रहा है। जानकारी सामने आए पर प्रोफेसर के उस दावे की जांच की गई, जिसके फर्जी निकलने के बाद उसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (4) और 336 (जालसाजी) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।
वघोली पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने मामले की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “आरोपी व्यक्ति कि पहचान वीरेंद्र कुमार यादव के रूप में हुई है। शुरुआती जाँच से पता चलता है कि संदिग्ध व्यक्ति ने केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के फर्जी साइन और उनके लेटर हेड का इस्तेमाल करके एक फर्जी पत्र तैयार किया था। इस फर्जी पत्र में कहा गया था कि संदिग्ध का नाम प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए तय किया गया है।”
उन्होंने आगे बताया कि संयोग से, पिछले कुछ वर्षों से इस पुरस्कार का नाम बदलकर राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार कर दिया गया है, इसकी वजह से लोगों को शक हुआ। अब तक की जाँच से पता चला है कि संदिग्ध ने यह पत्र किसी सरकारी या वैधानिक संस्था को नहीं सौंपा था, लेकिन उसने अपने दोस्तों और सहकर्मियों के बीच अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए इसे जरूर दिखाया था।
पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमारा मानना है इसका मकसद प्रमोशन, सैलरी में बढ़ावा, लोगों के बीच में इज्जत बढ़ाना या फिर इसका और अधिक दुरुपयोग करना भी हो सकता है। हम सभी पहलुओं पर जांच कर रहे हैं। इस अपराध का सबसे गंभीर पहलू एक केंद्रीय मंत्री के हस्ताक्षर के साथ लेटरहैड जारी करके जालसाजी करना है।”
अधिकारी के मुताबिक, आरोपी ने इस फर्जी पत्र को न केवल अपने दोस्तों को दिखाया बल्कि सोशल मीडिया पर भी शेयर किया। इसके बाद मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के पास इस पत्र की सूचना पहुंची। वहां से उन्होंने इसकी जांच शुरू की। हमारी जांच में पता चला कि यह सब फर्जी है इसके बाद एनसीएल के अधिकारियों ने मामला दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद आरोपी की गिरफ्तारी की गई। फिलहाल हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि आरोपी ने यह पत्र कैसे बनाया और क्या इस में उसके साथ कोई और भी शामिल था।
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