ब्रासीलिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ नीतियों के खिलाफ वैश्विक मंच पर एकजुटता बढ़ रही है। भारत के अलावा ब्राजील (Brazil) ने भी ट्रंप के दबाव के सामने झुकने से साफ इनकार कर दिया है। ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा (Luiz Inacio Lula da Silva) ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बात की है, जिससे BRICS देशों के बीच साझेदारी को और मजबूत करने का संकेत मिल रहा है। राष्ट्रपति लूला ने पहले ही ट्रंप के साथ बातचीत करने से साफ इनकार कर दिया था और इसके बजाय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बात की। यह कदम वैश्विक राजनीति और व्यापार में एक नए समीकरण की ओर इशारा करता है।
अमेरिका ने हाल ही में ब्राजील के आयात पर 40% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया। इसका मतलब है कि ब्राजील से अमेरिका को निर्यात होने वाली चीजें, जैसे बीफ, कॉफी, और चीनी, अब बहुत महंगी हो जाएंगी। इससे ब्राजील के निर्यात पर भारी असर पड़ा है। ट्रंप ने यह टैरिफ इसलिए लगाया क्योंकि उनका मानना है कि BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका) जैसे संगठन अमेरिका के हितों के खिलाफ नीतियां बना रहे हैं। ट्रंप ने धमकी दी थी कि जो देश BRICS की नीतियों का समर्थन करेंगे, उन्हें 10% अतिरिक्त शुल्क देना होगा। इतना ही नहीं, ट्रंप ने भारत पर भी 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। ये दोनों देश टैरिफ लिस्ट में टॉप पर हैं।
इसके जवाब में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “अगर ट्रंप मुझसे बात नहीं करना चाहते, तो मैं उन्हें फोन क्यों करूं? मैं पीएम मोदी और शी जिनपिंग से बात करूंगा।” लूला ने यह भी साफ किया कि ब्राजील अपने हितों की रक्षा के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल करेगा।
जिनपिंग को लगाया फोन
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने मंगलवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से टेलीफोन पर बातचीत की, जो भारत और रूस के नेताओं के साथ हुई चर्चाओं के बाद उनकी कूटनीतिक पहल का हिस्सा है। ब्राजील सरकार के बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने करीब एक घंटे तक अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध की ताजा स्थिति भी शामिल रही। लूला और शी ने जी-20 और ब्रिक्स के जरिये बहुपक्षवाद को मजबूत करने पर सहमति जताई।
बीजिंग से मंगलवार सुबह हुई इस बातचीत में शी जिनपिंग ने ‘एकतरफावाद’ और ‘संरक्षणवाद’ के खिलाफ समन्वित प्रयासों की अपील की- ये शब्दावली आमतौर पर चीन द्वारा अमेरिकी व्यापार नीति की आलोचना के लिए इस्तेमाल होती है। उन्होंने ब्राजील के लोगों के वैध अधिकारों की रक्षा में समर्थन देने की बात कही और चीन-ब्राजील रिश्तों को “इतिहास में अब तक का सबसे अच्छा” बताया। शी ने कहा कि चीन, ब्राजील के साथ मिलकर समन्वय बढ़ाना चाहता है और ग्लोबल साउथ के देशों के बीच “एकता और आत्मनिर्भरता” का उदाहरण पेश करना चाहता है।
ब्रिक्स देशों को एकजुट करने में जुटे लूला
यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब लूला, ब्रिक्स देशों के बीच एकजुटता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल के दिनों में उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी चर्चा की है। यह कूटनीतिक सक्रियता उस समय देखी जा रही है जब अमेरिका ने ब्राजील पर दबाव बढ़ा दिया है। लूला सरकार ने इसके जवाब में चीन, भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार बढ़ाने पर जोर दिया है।
बातचीत ऐसे समय में हुई जब ट्रंप ने चीन से अमेरिकी सोयाबीन की खरीद बढ़ाने की मांग की थी। वहीं, हाल के महीनों में चीन ने ब्राजील से सोयाबीन की खरीद में इजाफा किया है और अर्जेंटीना से सोयाबीन मील की ट्रायल खेप भी मंगवाई है। ट्रंप ने मंगलवार को चीनी वस्तुओं पर भारी शुल्क में 90 दिनों का अस्थायी विस्तार दिया, लेकिन पिछले हफ्ते लागू हुए नए टैरिफ से ब्रिक्स देश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इस साल ब्राजील ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाल रहा है।
ट्रंप ने ब्रिक्स को “अमेरिका-विरोधी” करार दिया है। 2009 में स्थापित इस समूह का पिछले साल विस्तार हुआ था, जिसमें ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया और मिस्र को भी शामिल किया गया। लूला ने मई में बीजिंग की राजकीय यात्रा के दौरान शी जिनपिंग से मुलाकात की थी, जहां खनन, परिवहन अवसंरचना और बंदरगाहों में चीनी निवेश सहित 30 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे।
लूला ने पीएम मोदी को क्यों फोन किया?
7 अगस्त को लूला ने पीएम मोदी को फोन किया और करीब एक घंटे तक बातचीत की। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने अमेरिका के एकतरफा टैरिफ के मुद्दे पर चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने भारत और ब्राजील के बीच व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, रक्षा, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात की। दोनों ने 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा।
लूला ने पीएम मोदी की हाल की ब्राजील यात्रा को याद किया और इसे “यादगार और सार्थक” बताया। पीएम मोदी ने भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि दोनों देश “ग्लोबल साउथ” के बीच मजबूत साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसका मतलब है कि भारत और ब्राजील जैसे विकासशील देश एक-दूसरे का साथ देकर वैश्विक मंच पर अपनी आवाज को और मजबूत करना चाहते हैं।
टैरिफ के अलावा और क्या है विवाद?
टैरिफ के अलावा, अमेरिका और ब्राजील के बीच एक और विवाद है। ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को तख्तापलट की साजिश के आरोप में नजरबंद किया है। अमेरिका ने इसे “मानवाधिकार उल्लंघन” करार दिया और इस मामले की देखरेख कर रहे जज एलेक्जेंडर डी मोरेस पर प्रतिबंध लगाए। लूला और उनकी सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ब्राजील एक संप्रभु देश है और वह किसी बाहरी दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा।
इसका वैश्विक महत्व क्या है?
यह पूरा घटनाक्रम वैश्विक राजनीति में एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है। एक तरफ अमेरिका अपनी “ट्रेड प्रोटेक्शनिज्म” नीति के तहत टैरिफ लगाकर दुनिया को अपने हिसाब से चलाना चाहता है। दूसरी तरफ, BRICS जैसे संगठन बहुपक्षीयता (कई देशों के बीच सहयोग) को बढ़ावा दे रहे हैं। लूला का ट्रंप को नजरअंदाज करके BRICS नेताओं से बात करना इस बात का संकेत है कि ब्राजील अब स्वतंत्र और मजबूत नीति अपनाने की ओर बढ़ रहा है।
भारत की भूमिका है खास
भारत ने भी ट्रंप की टैरिफ धमकियों को नजरअंदाज किया है। भारत ने साफ किया है कि वह दबाव में आकर कोई व्यापारिक समझौता नहीं करेगा। भारत की आत्मनिर्भरता, खासकर रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में, उसे इस स्थिति में मजबूत बनाती है। लूला का भारत और चीन जैसे देशों की ओर झुकाव दिखाता है कि BRICS देश अब एकजुट होकर अमेरिका के दबाव का जवाब देना चाहते हैं।
लूला ने खुले तौर पर कहा कि ब्राजील अमेरिका के साथ बराबरी और सम्मान के आधार पर बातचीत को तैयार है, लेकिन वह ट्रंप की “धमकियों” को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वह ट्रंप को नवंबर 2025 में ब्राजील में होने वाले COP30 जलवायु सम्मेलन में आमंत्रित करेंगे, लेकिन अगर ट्रंप नहीं आते, तो यह उनकी अपनी मर्जी होगी।
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