
नई दिल्ली । ब्राजील(Brazil) के सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो(Former President Jair Bolsonaro) को 27 साल और तीन महीने की जेल की सजा सुनाई। यह सजा तख्तापलट की कोशिश का दोषी ठहराए जाने के बाद सुनाई गई है। दरअसल 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में हारने के बाद बोल्सोनारो ने सत्ता में बने रहने के लिए तख्तापलट की साजिश रची थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ में से चार ने बोल्सोनारो को सभी आरोपों में दोषी ठहराया, जबकि एक जज ने उन्हें बरी करने की राय दी। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बावजूद आया है, जिन्होंने ब्राजील पर आर्थिक दबाव डालने की कोशिश की थी, लेकिन ब्राजील के न्यायपालिका ने इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
बोल्सोनारो पर लगाए गए आरोपों में शामिल हैं: संगठित अपराध, सशस्त्र आपराधिक संगठन का हिस्सा होना, लोकतांत्रिक शासन को हिंसक तरीके से उखाड़ फेंकने का प्रयास, देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और गंभीर खतरा पैदा करना। अभियोजन पक्ष के अनुसार, बोल्सोनारो ने 2022 के चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा से हारने के बाद सत्ता न छोड़ने के लिए एक विस्तृत साजिश रची थी। इस साजिश में लूला, उपराष्ट्रपति जेराल्डो अल्कमिन और सुप्रीम कोर्ट के जज एलेक्जेंड्रे डी मोरेइस की हत्या की योजना भी शामिल थी, जिसमें विस्फोटक, युद्ध हथियार या जहर का इस्तेमाल करने की बात कही गई।
साजिश का मुख्य बिंदु 8 जनवरी 2023 का हमला था, जब बोल्सोनारो के समर्थकों ने सुप्रीम कोर्ट भवन, राष्ट्रपति भवन और संसद पर हमला किया था। यह घटना अमेरिकी कैपिटल हिल दंगे से प्रेरित बताई जा रही है। जज मोरेइस, जो मामले की जांच कर रहे थे, उन्होंने बोल्सोनारो को “आपराधिक संगठन का नेता” करार दिया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों सबूत मौजूद हैं जो साबित करते हैं कि बोल्सोनारो ने चुनाव परिणामों को स्वीकार करने से इनकार किया और सेना को लूला के शपथ ग्रहण को रोकने के लिए उकसाया।
2022 चुनाव से पहले बोल्सोनारो ने कई विवादास्पद बयान दिए थे। एक इवेंजेलिकल लीडर्स की बैठक में उन्होंने कहा था, “मेरे भविष्य के तीन विकल्प हैं: गिरफ्तारी, हत्या या जीत। कोई भी इंसान मुझे धमकी नहीं दे सकता।” 2023 में ब्राजील के इलेक्टोरल कोर्ट ने उन्हें 2030 तक सार्वजनिक पद पर आने से रोक दिया था, क्योंकि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे।
ट्रंप की धमकियां और ब्राजील का साहसिक जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बोल्सोनारो के करीबी सहयोगी हैं। उन्होंने इस मुकदमे को “विच हंट” करार दिया। ट्रंप ने बोल्सोनारो के मुकदमे को अपने खिलाफ लगे पुराने मामलों से जोड़ते हुए ब्राजील पर दबाव डालने की कोशिश की। उन्होंने ब्राजील पर 50% टैरिफ लगाया, जज मोरेइस पर प्रतिबंध लगाए, और सुप्रीम कोर्ट के अधिकांश जजों के वीजा रद्द कर दिए। ट्रंप ने कहा था, “यह मेरे साथ जो हुआ वैसा ही है, लेकिन वे मुझसे बच नहीं पाए।” उन्होंने ब्राजील को चेतावनी दी थी कि अगर मुकदमा जारी रहा तो व्यापारिक जांच और कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की इन धमकियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। फैसले के दौरान कई जजों ने अमेरिकी हस्तक्षेप की आलोचना की। राष्ट्रपति लूला ने फैसले से पहले एक इंटरव्यू में कहा, “बोल्सोनारो ने इस देश में तख्तापलट की कोशिश की, और इसके सैकड़ों सबूत हैं। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।” फैसले के बाद ट्रंप ने कहा कि वे “बहुत दुखी” हैं, लेकिन ब्राजील सरकार ने स्पष्ट किया कि वे किसी विदेशी दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे।
राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
यह सजा ब्राजील के इतिहास में पहली बार किसी पूर्व राष्ट्रपति को लोकतंत्र पर हमले के लिए दोषी ठहराती है। 70 वर्षीय बोल्सोनारो को अभी हाउस अरेस्ट में रखा गया है, और वे इलेक्ट्रॉनिक एंकल मॉनिटर पहन रहे हैं। हालांकि, बोल्सोनारो राजनीतिक रूप से मजबूत बने हुए हैं। उनके समर्थक कांग्रेस में एमनेस्टी लॉ पेश कर चुके हैं, जिससे उन्हें राहत मिल सकती है। अगले साल के सीनेट चुनावों में दक्षिणपंथी उम्मीदवारों को जजों के खिलाफ इस्तेमाल करने की योजना है। 2026 के राष्ट्रपति चुनाव में भी बोल्सोनारो का प्रभाव रहेगा।
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