
नई दिल्ली । भारत (India)से निकालकर पाकिस्तान डिपोर्ट(Pakistan Deport) की गई एक महिला को जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट (Jammu and Kashmir High Court)ने वापस लाने के आदेश दिए हैं। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भेजे गए पाकिस्तानी नागरिकों में वह भी शामिल थीं। कोर्ट ने यह आदेश मानवीय आधार पर दिया है। साथ ही भारत सरकार को इस आदेश का पालन करने के लिए 10 दिनों का समय दिया है। पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोगों की हत्या हुई थी।
बार एंड बेंच के अनुसार, रक्षांदा रशीद को भारत ने पाकिस्तान डिपोर्ट कर दिया था। वह इस फैसले के खिलाफ 30 अप्रैल को हाईकोर्ट पहुंचीं थीं। खबरें हैं कि वह 38 साल से जम्मू में पति और दो बच्चों के साथ रह रही थीं, लेकिन फिलहाल लाहौर के एक होटल में हैं। भारत सरकार ने आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कहा था। 27 अप्रैल को डेडलाइन के बाद अधिकारियों ने कई लोगों को डिपोर्ट किया था।
जस्टिस भारती की तरफ से 6 जून को जारी आदेश में रशीद के पति की दलील पर खास गौर किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, उनका कहना था कि रशीद का पाकिस्तान में कोई नहीं है और वह कई बीमारियों का सामना कर रही हैं, जिसके चलते उनकी जान जोखिम में है।
कोर्ट ने कहा, ‘मानवाधिकार मानव के जीवन का सबसे अहम हिस्सा है…। इसलिए यह कोर्ट भारत सरकार के गृहमंत्रालय को निर्देश देती है कि याचिकाकर्ता को डिपोर्टेशन से वापस लाया जाए।’ कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि याचिकाकर्ता LTV यानी लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत में रह रही थी। अदालत ने यह भी कहा कि महिला को बगैर उसके मामले की जांच किए बगैर और बिना उचित आदेश के देश से निकाल दिया गया। ऐसे में कोर्ट ने गृहमंत्रालय को महिला को पाकिस्तान से वापस लाने के आदेश दिया।
कोर्ट ने आदेश दिया, ‘मामले के तथ्यों और असाधारण स्थिति को देखते हुए, जहां शेख जहूर अहमद की पत्नी याचिकाकर्ता रक्षांदा रशीद को पहलगाम नरसंहार के बाद भारत सरकार की तरफ से चलाए गए अभियान के तहत कथित तौर पर पाकिस्तान डिपोर्ट कर दिया गया था। यह कोर्ट गृहमंत्रालय के सचिव को आदेश देती है कि याचिकाकर्ता को जम्मू और कश्मीर वापस लाया जाए, ताकि वह जम्मू में पति शेख जहूर अहमद से मिल सके।’
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