
इंदौर। जी का जंजाल बने एबी रोड के बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की प्रक्रिया भी धीमी गति से चल रही है, जिसके चलते रोजाना जनता को जाम में फंसना पड़ता है। हाईकोर्ट आदेश आने के बाद ताबड़तोड़ निगम के कर्ताधर्ताओं ने एक हिस्से को तोड़ा भी और उसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की। पहले दो बार में कोई भी ठेकेदार फर्म नहीं आई, क्योंकि निगम ने 3 करोड़ 68 लाख रुपए की राशि मांगी। नतीजतन अब तीसरी बार टेंडर शर्तों में संशोधन करना पड़ा और उक्त राशि 5 किश्तों में ली जाएगी और उसके साथ ही जितने हिस्से में बीआरटीएस टूटेगा उतने में निगम सडक़ के साथ डिवाइडरों के निर्माण का कार्य भी शुरू करवा देगा, जिसके 17 करोड़ रुपए के टेंडर मंजूर हो चुके हैं। निगम को उम्मीद है कि अब तीसरी बार बीआरटीएस को तोडऩे का जो टेंडर बुलाया है उसके लिए कोई ना कोई उपयुक्त ठेकेदार फर्म मिल ही जाएगी, क्योंकि प्रीबिड में मिले सुझाव के आधार पर ही किश्तों का प्रावधान किया गया है।
11 किलोमीटर के बीआरटीएस कॉरिडोर को बनाने में लगभग 300 करोड़ रुपए समय-समय पर खर्च हुए हैं। नीरंजनपुर से लेकर राजीव गांधी चौराहा तक के इस कॉरिडोर में आई बसें संचालित होती है और पहले 55 हजार लोग रोजाना यात्रा करते थे। अब हालांकि यात्रियों की संख्या इसलिए घट गई, क्योंकि जगह-जगह कॉरिडोर बंद हो गया और दोनों तरफ के हिस्से में आम यातायात के साथ अब आई बसें भी चरती है। नीरंजनपुर चौराहा और सत्यसांई चौराहा पर एमपीआरडीसी द्वारा फ्लायओवरों का निर्माण कराया जा रहा है, जिसके चलते उस हिस्से में कॉरिडोर पहले ही बंद हो गया था।
दूसरी तरफ जीपीओ चौराहा पर बीआरटीएस की रैलिंग निकाली गई और महापौर सहित अधिकारियों ने बीआरटीएस हटाने की प्रक्रिया भी की। मगर उसके बाद निगम को ठेकेदार ही नहीं मिला, क्योंकि 3 करोड़ 68 लाख रुपए की राशि निगम ले रहा है और बदले में जो मलबा-स्क्रैप निकलेगा वह ठेकेदार फर्म बेचेगी। मगर दो बार निगम को कोई टेंडर नहीं मिले, क्योंकि इतनी बड़ी राशि एक साथ जमा करने को कोई तैयार नहीं हुआ। बीआरटीएस की दोनों तरफ लगी रैलिंग के अलावा 18 बस शेल्टर भी तोड़े जाना है। निगम ने लगभग डेढ़ लाख किलो से अधिक लोहा निकलने का अनुमान लगाया और अन्य तरह के स्क्रैप मटेरियल की कीमत जोड़ते हुए टेंडर की राशि तय की। निगम के जनकार्य प्रभारी राजेन्द्र राठौर के मुताबिक अब तीसरी बार शर्तों में कुछ संशोधन के साथ नया टेंडर जारी किया गया है, जिसमें राशि तो 3 करोड़ 68 लाख ही रखी गई है। मगर यह राशि शुरुआत में एकमुश्त लेने की बजाय अब 5 किश्तों में लेंगे। यानी ठेकेदार फर्म 5 हिस्सों में कॉरिडोर को जोड़ेगी और हर हिस्से की राशि किश्तों के रूप में निगम को जमा करती रहेगी। उम्मीद है कि इस बार कोई ना कोई उपयुक्त ठेकेदार फर्म मिल जाएगी, क्योंकि प्रीबिड में मिले सुधावों के आधार पर ही टेंडर शर्तों में इस तरह के संशोधन किए गए हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved