
लखनऊ । बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने दिल्ली विश्वविद्यालय में (In Delhi University) मनु स्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव को रद्द किए जाने को (To cancel the proposal to Teach Manu Smriti) सही बताया (Said it was Right) ।
बसपा मुखिया मायावती ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “भारतीय संविधान के मान-सम्मान व मर्यादा तथा इसके समतामूलक एवं कल्याणकारी उद्देश्यों के विरुद्ध जाकर दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मनुस्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव का तीव्र विरोध स्वाभाविक तथा इस प्रस्ताव को रद्द किए जाने का फैसला स्वागत योग्य कदम।”
उन्होंने आगे लिखा कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने ख़ासकर उपेक्षितों व महिलाओं के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ ही मानवतावाद एवं धर्मनिरपेक्षता को मूल में रखकर सर्व स्वीकार भारतीय संविधान की संरचना की, जो मनुस्मृति से कतई मेल नहीं खाता है। अतः ऐसा कोई प्रयास कतई उचित नहीं।
इससे पहले खबर आई थी कि गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय का फैक्लटी ऑफ लॉ पहले और थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स को मनुस्मृति पढ़ाने के लिए सिलेबस में बदलाव चाहता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति पढ़ाए जाने की जानकारी मिलते ही विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद प्रस्ताव रद्द होने की जानकारी उन्होंने खुद दी।
उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी के फैक्लटी ऑफ लॉ के जरिए एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इस प्रस्ताव में उन्होंने न्यायशास्त्र विषय में बदलाव का सुझाव दिया था। इसमें से एक बदलाव मनुस्मृति को शामिल करने को लेकर था। हमने किताबों को शामिल करने और फैक्लटी के जरिए बदलाव के प्रस्ताव दोनों को ही खारिज कर दिया है। विश्वविद्यालय में ऐसा कोई विषय नहीं पढ़ाया जाएगा।
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