
मेरठ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) जिले से अवैध कॉलोनियों (Illegal colonies) के निर्माण और सरकारी बंजर भूमि पर कब्जे का सनसनीखेज मामला सामने आया है. मामला पलवलपुर थाना क्षेत्र के सरधना तहसील की है, जहां पर मुईकंपुर एलखेड़ी परगना दौराला स्थित खसरा संख्या 609/5 की बंजर भूमि को धोखाधड़ी और फर्जी तरीके से कॉलोनियों में तब्दील कर बेच दिया गया. बताया जा रहा है कि ये सरकारी जमीन मेरठ के पल्लवपुरम थाने की है, जिसकी कीमत 20 करोड़ से अधिक है. इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
जानकारी के अनुसार, खसरा संख्या 609/5 रकबा 0.5060 हेक्टेयर भूमि को राजस्व दस्तावेजों में श्रेणी 5(3) यानी बंजर भूमि दर्ज किया गया था. मगर इस जमीन को अलग-अलग खातों में दर्ज कर निजी स्वामित्व दर्शाया गया. इसके बाद इस पर अवैध कॉलोनियों का निर्माण करने का आरोप लगा है. बताया गया कि ईकंपुर एलखेड़ी गांव में कुल भूमि का एक बड़ा हिस्सा मधुर इन्फ्रा डवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड तथा चंदनपाल एसोसिएट्स और सिद्धार्थ पंवार पुत्र रामकुमार के नाम से स्वामित्व दिखाकर बेच दिया गया.
अभी तक की जांच में सामने आया कि प्रश्नगत भूमि का कुल रकबा 0.5060 हेक्टेयर था. इसमें से 0.3667 हेक्टेयर भूमि मधुर इन्फ्रा डवलपर्स लिमिटेड ने अपने नाम कर लिया और उस पर 3420 वर्ग मीटर की कॉलोनी बना डाली. वहीं, शेष 0.1520 हेक्टेयर भूमि चंदनपाल एसोसिएट्स और सिद्धार्थ पंवार ने अपने नाम कर लगभग 1900 वर्ग मीटर की कॉलोनी विकसित कर दी. इस तरह से 2060 वर्ग मीटर से अधिक सरकारी बंजर भूमि को निजी स्वामित्व दर्शाकर प्लॉटिंग कर बेच दिया गया.
इस हिस्से में पल्लवपुरम थाने की जमीन भी शामिल है. मामला सामने आने के बाद पुलिस ने जुलाई के महीने में मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई थी. दस्तावेजों से स्पष्ट है कि मधुर इन्फ्रा डवलपर्स के डायरेक्टर आशिष गुप्ता, आदित्य गुप्ता, जय गुप्ता, चंदनपाल एसोसिएट्स के अंकुर कुमार व अनिल कुमार तथा सिद्धार्थ पंवार पुत्र रामकुमार ने मिलकर इस अवैध खेल को अंजाम दिया.
इन सभी ने राजस्व दस्तावेजों में हेराफेरी कर जमीन को निजी संपत्ति बताते हुए कॉलोनियों में प्लॉट काटे और उन्हें बेच दिया. इस धोखाधड़ी के चलते राज्य सरकार को भारी राजस्व क्षति हुई है. जहां जमीन राजस्व रिकॉर्ड में बंजर दर्ज थी, वहीं इसे कॉलोनियों में बदलकर लाखों-करोड़ों का फायदा उठाया गया. सरकारी भूमि पर कब्जा कर प्लॉटिंग किए जाने से न केवल कानून का उल्लंघन हुआ, बल्कि सरकारी संपत्ति पर सीधा डाका पड़ा. इस सरकारी जमीन की कीमत करीब 20 करोड़ बताई गई. फिलहाल पुलिस इस मामले में कार्यवाही कर रही है. अभी तक 2 आरोपी गिरफ्तार है.
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