कानपुर । उत्तरप्रदेश के कानपुर (kanpur) में हुई हिंसा मामले में नया खुलासा हुआ है। तीन जून को पेंचबाग से हिंसा शुरू हुई थी। इसके बाद नई सड़क हिंसा और फिर दादामियां चौराहे (Grandfather Crossroads) तक उपद्रव किया गया।
बिल्डर हाजी मोहम्मद वसी और बाबा बिरयानी (Builder Haji Mohammad Wasi and Baba Biryani) के मालिक मुख्तार बाबा ने इसकी इबारत लिखी थी। इन्हीं के इशारे पर हयात जफर और डीटू गैंग काम कर रहे थे। हिंसा के गवाह प्रभारी निरीक्षक चमनगंज जैनेंद्र सिंह तोमर के बयानों ने बड़ा खुलासा किया है।
मुख्तार व वसी ने शत्रु व अन्य संपत्ति के साथ ही रामजानकी मंदिर समेत कई धार्मिक स्थलों पर कब्जा किया है। इन संपत्तियों पर अपार्टमेंट बनाकर मोटी रकम कमाई। किसी ने विरोध किया तो डीटू गैंग की मदद से डरा-धमकाकर किनारे कर दिया जाता था।
कानपुर हिंसा भड़काने के लिए मुख्तार के बेटे उमर ने भाड़े के गुंडे बुलाए थे। इसमें अहम भूमिका अफजाल ने निभाई थी। उसकी मुख्तार से पुरानी दोस्ती थी। गुंडे हथियारों से लैस थे। उन्होंने पत्थर के साथ पेट्रोल बम और फायरिंग भी की थी। घटना को लीड डीटू गैंग के अफजाल, बशीर और बाबर कर रहे थे।
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