
काबुल। संयुक्त राष्ट्र (UN) के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम world food program (WFP) ने चेताया है कि नवंबर से अफगानिस्तान (Afghanistan) की आधी आबादी या 2.28 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा (Food Insecurity) का सामना करेंगे. WFP की इस चेतावनी के कोविड-19 (Covid-19), सूखा और संघर्ष जैसे कई कारण शामिल हैं, जिन्होंने बड़े स्तर पर देश में खाद्य व्यवस्था को प्रभावित किया है. खास बात यह भी है कि चिंताजनक आंकड़े तालिबान (Taliban) के शासन हासिल करने के दो महीने बाद ही सामने आए हैं. अमेरिकी सेना ने दो दशकों तक यहां रहने के बाद अगस्त में वतन वापसी की थी.
हाल ही में जारी हुए ग्लोबल वर्ल्ड हंगर (global world hunger) में भी अफगानिस्तान(Afghanistan) 103 नंबर पर था. इस सूची में 116 देश शामिल थे और इंडेक्स ने अफगानिस्तान (Afghanistan) के में भूखमरी के स्तर को ‘गंभीर’ बताया था. हालांकि, अफगान के लिए यह संकट पहली बार या नया नहीं है. 2010 में आई यूएन की रिपोर्ट का कहना था कि सशस्त्र संघर्ष के बजाए गरीबी ज्यादा अफगानों को मारती है. इसका कारण देश में बड़े स्तर पर मानवाधिकार की कमी को बताया गया था.
अफगानिस्तान में क्या हैं कीमतें
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सेव द चिल्ड्रन की तरफ से अगस्त 2021 में एकत्र किए गए आंकड़े बताते हैं कि काबुल में आटे (50 किलो) की कीमत करीब 6 प्रतिशत बढ़ गई है. तेल (5 लीटर) की कीमतों में करीब 5.8 और गैस में 18.1 फीसदी इजाफा हुआ है. कुंडूज जैसे अन्य इलाकों में आटा (50 किलो) 40.6 प्रतिशत और तेल (5 लीटर) 20 फीसदी बढ़ गया है. जबकि, गैस के मामले में यह आंकड़ा 63.4 प्रतिशत है. यह तुलना जुलाई की कीमतों से की गई है.
कमजोर समुदायों में खाद्य संकट और बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए अफगान में दस्तरखान ए मेली की शुरुआत की गई थी. मई तक 7 लाख 50 हजार अफगान परिवारों को राहत पैकेज मुहैया कराए गए थे.
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