
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच संबंधों में कड़ुवाहट कम नहीं हो रही है। पहले अध्यादेश के जरिए कई तरह के अधिकार कम हुए फिर उनके सरकारी बंगले पर कराए गए पुनर्निर्माण और सजावट में वित्तीय अनियमितता की की जांच कराने की सिफारिश कर दी। एलजी की सिफारिश पर मंगलवार को केंद्र ने सीएजी को जांच करने को कहा है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के रिनोवेशन पर करोड़ों रुपये खर्च होने की सीएजी विशेष आडिट कराएगी। केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना की 24 मई 2023 की सिफारिश पर इसकी जांच कराने का सीएजी को निर्देश दिया था। अपनी सिफारिश में एलजी ने मुख्यमंत्री के नाम पर सरकारी आवास के पुनर्निर्माण (Renovation) में भारी वित्तीय अनिमितता की शिकायत की थी। एक रिपोर्ट के जरिए बताया गया था कि रिनोवेशन में 1- 2 करोड़ नहीं, बल्कि 45 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं घर के पर्दों पर भी लाखों रुपये खर्च हुए।
इस मामले में एक नोटिस लोक निर्माण विभाग (PWD) को भेजा गया था। इसमें कहा गया था कि आवास के अंदर की डिजाइन में बदलाव और इस पर खर्च हुई रकम में भारी गड़बड़ी है। पीडब्ल्यूडी ने आवास के पुराने ढांचे को बिना किसी सर्वे रिपोर्ट के ढहा दिया था। वहां पर एक नया आवास बना दिया। इसके लिए किसी भी तरह की स्वीकृति भी नहीं ली गयी थी।
इसको लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल ने केंद्रीय गृहमंत्रालय को 24 मई को एक पत्र भेजकर इसकी जांच कराने का अनुरोध किया था। इसके बाद गृहमंत्रालय ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को अनुरोध भेजा। अब सीएजी इसकी जांच-पड़ताल की कार्यवाही शुरू करने जा रही है।
दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर परेशान करने का आरोप लगाया है। केजरीवाल का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार को सामान्य कामकाज भी नहीं करने दे रही है। इस बीच सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाने और सेवाओं पर नियंत्रण के लिए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कई दलों से समर्थन मांग कर साथ देने का अनुरोध किया था। हालांकि अभी तक कोई भी दल खुलकर उनके साथ नहीं आया है।
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