नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली (Tarctor Rally) की आड़ में उपद्रवियों ने दिल्ली के अंदर घुसकर जो उत्पात मचाया वह किसी से छिपा नहीं है। बावजूद इसके कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया (Social Media) पर झूठे और एडिट किए हुए वीडियो और फोटो वायरल (Viral Photo and Video) कर इस हिंसा को आम लोगों के आगे दूसरे नजरिये से पेश कर रहे हैं। जिसमें किसानों को पीड़ित, बेबस लाचार और दिल्ली पुलिस को एक विलेन के रूप में पेश किया जा रहा है। झूठी और फर्जी वीडियो वायरल कर माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे लोगों पर दिल्ली पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।ऐसे फैलाया जा रहा झूठ
सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी के बारे में, किसानों के विरोध प्रदर्शन के समर्थन में 200 पुलिस कर्मियों द्वारा इस्तीफा, पुलिस की कार्रवाई की पुरानी वीडियो एडिट कर वायरल करने, गोली लगने से किसान की मौत के बारे में, बॉर्डर पर लगे बैरिकेड्स और सुरक्षा बंदोबस्त को गलत नजरीये से दिखाने आदि विभन्नि तरह से पोस्ट किये जा रहे हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस की साइबर पैड अब एक्टिव हो गई है। इस संबंध में दिल्ली पुलिस की साइबर पैड यूनिट ने आक्रामक, गैरकानूनी पोस्ट को हटाने के लिए अनुरोध भेजे हैं। पुलिस को जांच के दौरान कई सोशल मीडिया अकाउंट बिना किसी बायोडाटा चलते हुए मिले हैं। जिनका इस्तेमाल ही गलत जानकारी फैलाने के लिए किया जा रहा है। इन्हें भी बंद करने के लिए कहा गया है। दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया पर झूठी, हिंसात्मक, आपत्तिजनक और भड़काऊ पोस्ट डालने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
दस साल पुरानी फोटो का इस्तेमाल
किसानों के प्रति पुलिस का नकारात्मक चेहरा दिखाने के लिए दस साल पुरानी फोटो तक का इस्तेमाल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर पुलिस की पिटाई का एक फोटो वारयल हो रहा है। दिल्ली पुलिस ने जब पड़ताल की तो यह फोटो दस साल पुराना निकला। वहीं, 200 दिल्ली पुलिसकर्मियों द्वारा इस्तीफे वाली खबर भी फर्जी निकली। असल में मामला रांची का था। वहीं, सड़क हादसे में घायल एक बुजुर्ग किसान को पुलिस द्वारा पीटे जाने का झूठ बोला गया। लखनऊ की एक पुरानी फोटो को दिल्ली का बताकर पुलिस की छवि को खराब करने की कोशिश की गई।
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