
नोएडा: नोएडा (Noida) में इलाज (Treatment) के दौरान लापरवाही के कारण बिल्ली (Cat) की मौत का मामला सामने आया है. उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने मामले में पशु चिकित्सक को लापरवाही का दोषी ठहराते हुए बिल्ली के मालिक को 25 हजार का मुआवजा देने का आदेश दिया है. बिल्ली की मौत नसबंदी के बाद हो गई थी. शिकायतकर्ता ने बताया कि नसबंदी के दौरान आवश्यक सावधानियां नहीं बरती गईं, जिसके चलते ये सब हो गया.
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (कंज्यूमर कोर्ट) में शिकायत करने वाले तमन गुप्ता नोएडा 105 के रहने वाले हैं. उन्होंने पेट वेल वेटनरी क्लिनिक के डॉक्टर सुरेश सिंह पर बिल्ली की नसबंदी के दौरान जरूरी सावधानियां नहीं बरतने पर बिल्ली की मौत का आरोप लगाया. साथ ही ब्लड टेस्ट रिपोर्ट नहीं देने और सर्जरी के लिए 17,480 रुपए वसूलने का भी आरोप लगाया. उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत करने वाले तमन गुप्ता नोएडा 105 के रहने वाले हैं.
उन्होंने पेट वेल वेटनरी क्लिनिक के डॉक्टर सुरेश सिंह पर बिल्ली की नसबंदी के दौरान जरूरी सावधानियां नहीं बरतने पर बिल्ली की मौत का आरोप लगाया. साथ ही ब्लड टेस्ट रिपोर्ट नहीं देने और सर्जरी के लिए 17,480 रुपए वसूलने का भी आरोप लगाया. गुप्ता के अनुसार, जनवरी 2024 में उनकी मां रेखा पहली बार बिल्ली को लेकर काउंसलिंग के लिए क्लिनिक पर गई थीं. इसके बाद जुलाई में डॉक्टर ने बिल्ली की नसबंदी का सुझाव दिया.
वह नसबंदी कराने के लिए तैयार हो गए. करीब 35 मिनट बिल्ली की सर्जरी चली, लेकिन इसके बाद वह करीब दो घंटे तक होश में नहीं आई. उन्होंने कई बार डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन ये मुमकिन नहीं हो पाया. इसके बाद उन्होंने एक वीडियो क्लिप डॉक्टर को भेजी, जिसे देखकर उन्हें तुरंत बिल्ली को लेकर इमरजेंसी रूम में आने को कहा. हालांकि, वहां भी बिल्ली को ठीक इलाज नहीं मिला पाया. कुछ समय बाद बिल्ली ने दम तोड़ दिया.
आयोग में दायर शिकायत में तमन गुप्ता ने 15 लाख के मुआवजे की मांग की थी, जिसमें मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी की लागत शामिल थी. शिकायत मिलते ही डॉक्टर के खिलाफ नोटिस जारी हुई, लेकिन इसका कोई भी जवाब नहीं आया है. इसके बाद 17 जून को मामला एकतरफा रूप से सुना गया. सुनवाई करते हुए कोर्ट को डॉक्टर की कई खामियां मिलीं. ब्लड टेस्ट रिपोर्ट की समीक्षा में सामने आया है कि बिल्ली के बीमार होने के बावजूद सर्जरी की गई. साथ ही मालिक से टेस्ट रिपोर्ट छिपाई गई.
आयोग ने कहा कि यह कृत्य जानबूझकर जोखिम को नजरअंदाज करना और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में कमी के अंतर्गत आता है. आयोग ने आदेश दिया कि डॉक्टर सुरेश सिंह 30 दिनों के अंदर 25,000 रुपये का मुआवजा दें, अन्यथा पूरी राशि का भुगतान होने तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा.
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