
तिरुवनंतपुरम। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत (India) के पास अवसर और संभावनाओं की कमी नहीं है। ऐसा मानना है देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंता नागेश्वरन (V. Anantha Nageshwaran) का। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर (Global Level) पर बढ़ती अनिश्चितताओं के बावजूद भारत ‘चमकदार जगह’ (Bright Spot) के रूप में सामने आया है। देश की अर्थव्यवस्था (Economy) में निरंतर मजबूती दिखी, जो आज के कठिन वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए उल्लेखनीय उपलब्धि है।
फरवरी, 2022 से शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया में जारी हिंसक संघर्ष, इस्राइल और ईरान के चिंताजनक टकराव, ईंधन और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की आशंकाओं के बीच एक साक्षात्कार में नागेश्वरन ने कहा, वर्ष 2022 से वैश्विक स्तर पर संघर्ष और व्यवधान लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब ये ज्यादा तीव्र और अप्रत्याशित हो गए हैं, जिससे दुनिया भर में आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़ी चिंता पैदा हुई है। हालात विकास के लिए और भी जटिल बन गए हैं। आज वैश्विक माहौल लगभग सभी देशों के लिए कठिन हो गया है। ऊपर की तरफ जाने की संभावनाओं से अधिक नीचे गिरने का जोखिम बढ़ गया है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, यह स्थिति केवल भारत की नहीं है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने यह चुनौती बड़ी होती जा रही है। हालांकि, इस कठिन परिदृश्य में भी भारत अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है। देश की अर्थव्यवस्था एक सकारात्मक उदाहरण पेश करती है।
नागेश्वरन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ने 2020 में फैली COVID-19 महामारी के बाद अच्छी रिकवरी की है। देश में मजबूत आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही भारत का राजकोषीय घाटा और सरकारी कर्ज भी कम हुआ है। आर्थिक मोर्चे पर ये बड़े सुधार हैं। इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और इसका असर भारत और अमेरिका के 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर भी हुआ है। बॉन्ड की उपज में अंतर कम होने से ये अंतर साफ दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए भारत की लगभग 6.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने 2008 में आई वैश्विक वित्तीय मंदी के बाद के दौर का उल्लेख करते हुए कहा कि बीते 17-18 साल में वैश्विक आर्थिक माहौल पूरी तरह अनुकूल नहीं रहा है।
नागेश्वरन ने बताया कि भारत सरकार देश की अर्थव्यवस्था को 7 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। हालांकि, आज की अनिश्चित और कठिन वैश्विक स्थितियों में भी 6.5 प्रतिशत की दर को बनाए रखना एक मजबूत उपलब्धि मानी जानी चाहिए। भारत विपरीत परिस्थितियों में भी स्थायित्व और विकास की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाए हैं।
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