
नई दिल्ली । सेवाश्रम संघ(Sevashram Sangha) के साधु कार्तिक महाराज (sadhu kartik raj)को प्रदीप्तानंद महाराज(Pradiptananda Maharaj) के नाम से भी जाना जाता है। गणतंत्र दिवस (Republic Day)के अवसर पर केंद्र सरकार(Central government) द्वारा उन्हें पद्म श्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। कार्तिक महाराज पश्चिम बंगाल में 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच विवादों का केंद्र बन गए थे। उन्होंने इस सम्मान के लिए केंद्र सरकार का आभार प्रकट किया है। आपको बता दें कि उनके अलावा बंगाल से 8 अन्य व्यक्तियों का भी नाम इस लिस्ट में शामिल है।
न्यूज-18 को दिए एक इंटरव्यू में कार्तिक महाराज ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचनाओं को याद किया। चुनाव के दौरान ममता ने आरोप लगाया था कि भारत सेवाश्रम संघ के कुछ साधु भाजपा की मदद कर रहे थे और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ काम कर रहे थे।
कार्तिक महाराज ने कहा, “मैं पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य की सत्ताधारी पार्टी का धन्यवाद करता हूं। उनके द्वारा की गई आलोचनाओं ने मेरे कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनके विज्ञापनों ने मुझे पूरे भारत में प्रसिद्ध कर दिया। पहले मैं केवल मुर्शिदाबाद में जाना जाता था, अब मुझे पूरे देश में पहचाना जाता है।”
उन्होंने कहा, “लोगों ने ममता दीदी की बातों के बाद यह जानना शुरू किया कि मैंने क्या किया है। अब हर कोई मेरे काम के बारे में जानता है और स्वामीजी को पहचानता है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दिल से धन्यवाद करता हूं।”
केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, “जो लोग भगवा पहनते हैं, वे पुरस्कार, सम्मान या प्रशंसा की तलाश में नहीं होते हैं। हमारे संगठन भारत सेवाश्रम संघ, हमारे अस्पताल और स्कूल को इस सम्मान से बहुत लाभ होगा।”
आपको बता दें कि मई 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले सेवाश्रम संघ का एक साधु पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच विवाद का मुख्य केंद्र बन गया था। कार्तिक महाराज ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक कानूनी नोटिस भेजकर उनसे अपने संगठन के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए माफी की मांग की थी। उनके वकील ने कहा कि महाराज ने अपना जीवन मानवता की सेवा में समर्पित किया है और हिंदू समाज को आधुनिक बनाने के साथ-साथ प्राचीन हिंदू परंपराओं के मूल्यों को बनाए रखने का प्रयास किया है।
उन्होंने ममता बनर्जी की उन टिप्पणियों को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि भारत सेवाश्रम संघ और रामकृष्ण मिशन के कुछ साधु भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री कभी अपने आरोपों को सिद्ध नहीं कर पाएंगी। मैं एक साधु हूं, राजनेता नहीं।” इसके बाद कार्तिक महाराज ने राज्यभर में एक विरोध प्रदर्शन शुरू किया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से माफी की मांग की।
कौन हैं कार्तिक महाराज?
कार्तिक महाराज ने किशोरावस्था में भारत सेवाश्रम संघ से जुड़कर सेवा कार्यों की शुरुआत की और 20 साल की उम्र में नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाली। उन्हें बेलदंगा, मुर्शिदाबाद भेजा गया, जहां उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की और स्कूल व अस्पताल बनाने में योगदान दिया। वे क्षेत्र में बालिका शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए भी प्रसिद्ध हैं। हालांकि उन्होंने हमेशा अपने कार्यों को राजनीति से दूर रखा है।
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