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केंद्र ने पेटेंट कर दिया ऑक्सीजन सिलेंडर लाने ले जाने के लिए मोटर चालित ट्रॉली के अविष्कार को

February 11, 2024


हमीरपुर । ऑक्सीजन सिलेंडर लाने ले जाने के लिए (To Transport Oxygen Cylinders) मोटर चालित ट्रॉली के अविष्कार (Invention of Motorized Trolley) को केंद्र ने पेटेंट कर दिया (Center has Patented) ।

हमीरपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में इस दोहरे मोड ब्रेकिंग सिस्टम का आविष्कार उस समय हुआ था, जब कोविड काल में कार्यरत स्टाफ को ऑक्सीजन से भरे बड़े सिलेंडर इधर से उधर करने में अच्छी खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता था। ठीक उसी समय एनआईटी हमीरपुर के स्टूडेंट्स और अन्य स्टाफ ने इस नए अविष्कार को जन्म दिया था। लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार के दिल्ली स्थित पेटेंट कार्यालय ने इस पर मोहर लगा दी है। संस्थान के टीम के सदस्यों ने जो आवेदन किया था, उसमें आविष्कार का डिटेल में हवाला दिया था।

जिन चुनौती पूर्ण परिस्थितियों में यह आविष्कार साकार हुआ था। उस टीम में रजत अनंत और उनका छोटा भाई इं.मोहित अनंत संस्थान में इलेक्ट्रिकल के स्टूडेंट थे। अब यह लोग स्टार्टअप करके कंपनी खोल सकेंगे खुद भी रोजगार शुरू करेंगे और लोगों को भी देंगे क्योंकि इस ट्राली की कॉस्ट बेहद कम पड़ रही है। 6 सिलेंडर एक साथ ही इस पर लोड किया जा सकते हैं। रजत और मोहित का कहना है कि वे अब कंपनी खोल रहे हैं। वेबसाइट बनाकर भी इसके लिए काम करेंगे। उम्मीद यही है कि यह उपकरण देश भर में ही नहीं, विदेशों में भी मेडिकल सेवाओं में सुविधा देगा।

डॉ.आरके जरियाल एसो. डीओईई के प्रो. डॉ.राजेश शर्मा, एसो. प्रो. डीओएमई और डॉ. पीके सूद ने यह नया अविष्कार जिला प्रशासन हमीरपुर की फंडिंग से कोविड-19 महामारी की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के दौरान साकार हुआ था। जब अस्पतालों/कोविड केंद्रों के परिसर के भीतर तत्काल चिकित्सा आपूर्ति/मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडरों के परिवहन के संबंध में ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सा कर्मचारियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।

पारंपरिक मैकेनिकल ट्रॉली का उपयोग करना जो एक तरफ एक समय में केवल एक ऑक्सीजन सिलेंडर को संभाल सकता है और दूसरी तरफ आपात स्थिति के दौरान ऐसे उपकरण के कठिन परिश्रम को खींचने के लिए मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। उस कठिन समय के दौरान, इस उत्पाद को के प्रेरक और वित्तीय समर्थन के माध्यम से थोड़े समय के भीतर एनआईटी हमीरपुर में टीम के सदस्यों के अथक प्रयासों से डिजाइन और विकसित किया गया था।

तत्कालीन हमीरपुर की डीसी देव श्वेता बनिक ने इसके लिए संस्थान के लोगों को उत्साहित किया था। संस्थान में तब कोविड सेंटर भी था। इसीलिए जरूरत महसूस हुई थी। अब यहां आविष्कार मेडिकल व्यवस्थाओं के लिए सभी संस्थाओं में मान्य होगा। यहां बेहद कम लागत से तैयार किया गया है इसमें लोडिंग और अनलोडिंग बेहद आसान है। पैरामेडिकल और अन्य स्टाफ की कमी के बीच यह उपकरण बेहद फायदेमंद होगा।

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