
नई दिल्ली. केंद्र सरकार (Central government) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से अपील की कि वे वक्फ कानून (Wakf Law) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई आंतरिम आदेश (interim order) पारित करते हैं तो तीन मुद्दों तक इसे सीमित रखें। सरकार ने जिन मुद्दों पर सुनवाई सीमित रखने की अपील की है, उनमें एक मुद्दा है अदालत द्वारा घोषित, वक्फ बाय यूजर या वक्फ बाय डीड संपत्ति को डी-नोटिफाई करने का है। दूसरा मुद्दा केंद्रीय और प्रदेश वक्फ बोर्ड के गठन से जुड़ा है, जिनमें गैर मुस्लिमों को शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है। तीसरा मुद्दा वक्फ कानून के उस प्रावधान से जुड़ा है, जिसमें जिलाधिकारी द्वारा जांच और उसकी मंजूरी के बाद ही किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने कोर्ट में की अपील
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ से कहा कि पूर्व की पीठ की तरह सुनवाई को सीमित रखा जाए। तुषार मेहता ने कहा कि अदालत ने तीन मुद्दों की पहचान की थी। हमने उन तीन मुद्दों पर अपना जवाब दे दिया है। अब याचिकाकर्ता लिखित सबमिशन में कई अन्य मुद्दों को उठा रहे हैं। मैंने तीन मुद्दों पर हलफनामा दाखिल कर दिया है। मेरी अपील है कि मामले की सुनवाई को इन्हीं तीन मुद्दों तक सीमित रखा जाए।
याचिकाकर्ताओं ने किया केंद्र सरकार के सबमिशन का विरोध
हालांकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकीलों कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने सॉलिसिटर जनरल के इस सबमिशन का विरोध किया। इससे पहले 17 अप्रैल को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सुनिश्चित किया था कि वे किसी भी वक्फ संपत्ति को डी-नोटिफाई नहीं करेंगे, इनमें वक्फ बाय यूजर भी शामिल है। साथ ही वक्फ बोर्डों में नई नियुक्ति पर भी कोई नई नियुक्ति न करने की बात कही थी।
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