
नारायणपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले (Naxal-affected Narayanpur district) में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। फोर्स के दबाव और मुठभेड़ में मारे जाने के डर से अबूझमाड़ इलाके में सक्रिय 8 नक्सलियों (8 Naxalites) ने हिंसा का रास्ता छोड़कर सरेंडर कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में डिवीजनल कमेटी सदस्य (DVCM) डॉ. सुकलाल और दो महिला नक्सली शामिल हैं। सभी ने नारायणपुर के एसपी रॉबिनसन गुड़िया के सामने सरेंडर किया है। इन नक्सलियों पर कुल 30 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
6 पुरुष और 2 महिलाओं ने किया सरेंडर
बता दें कि एक समय अबूझमाड़ को नक्सलियों की अघोषित राजधानी कहा जाता था, लेकिन फोर्स के बढ़ते प्रभाव और बीहड़ इलाकों में सुरक्षा बलों के कैंप खुलने से नक्सलियों में दहशत है। इंद्रावती एरिया कमेटी में नक्सलियों के डॉक्टर के नाम से चर्चित सुखलाल उर्फ़ मुकेश ने अपने 7 साथियों के साथ एसपी के सामने कर दिया। 8 सक्रिय माओवादी में 6 पुरुष और 2 महिला शामिल हैं। इन नक्सलियों के सरेंडर करने से माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है।
फोर्स के कैंप खुलने से नक्सलियों में दहशत
नारायणपुर पुलिस अधीक्षक रॉबिनसन गुड़िया ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले इन माओवादियों पर सरकार ने कुल 30 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। सरेंडर करने वालों में इंद्रावती एरिया कमेटी का डॉक्टर सुखलाल ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटा है। नक्सलियों के डॉक्टर का सरेंडर माओवादी संगठन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यह सरेंडर अभियान नक्सलियों के खोखले होते संगठन और विकास की ओर बढ़ते ग्रामीणों की सोच को दर्शाता है।
इलाज और मेडिकल सपोर्ट का प्रमुख रहा
नारायणपुर एसपी रॉबिनसन गुड़िया ने कहा कि लगातार विकास कार्यों को गांव-गांव तक पहुंचाने की योजना, सरकारी योजनाओं का लाभ और सुरक्षा बलों के दबाव से नक्सली संगठन कमजोर हो रहा है। नियाद-नेल्लानार योजना ने विशेषकर अबूझमाड़ क्षेत्र में माओवादियों के नेटवर्क को कमजोर करने का काम किया है। सुखलाल के सरेंडर से नक्सली संगठन के चिकित्सा और इलाज व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा। डॉक्टर सुखलाल नक्सलियों के बीच इलाज और मेडिकल सपोर्ट का प्रमुख जिम्मेदार माना जाता था।
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