
नई दिल्ली । कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा (Congress MP Priyanka Gandhi Vadra) ने कहा कि मनरेगा योजना का नाम बदलना (Changing the name of MNREGA Scheme) समझ से परे है (Is beyond Comprehension) ।
शनिवार को संसद परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा कि मनरेगा का नाम बदलने के पीछे मोदी सरकार की मानसिकता क्या है?” उन्होंने आगे कहा, “पहली बात कि योजना में सबसे पहला नाम महात्मा गांधी जी का है और दूसरी बात ये कि जब भी योजना का नाम बदला जाता है तो उसमें बहुत सारा पैसा भी खर्च होता है। इस योजना का नाम बदलने का फायदा क्या होगा, ये समझ से परे है।”
कांग्रेस के सांसद राजीव शुक्ला ने भी प्रियंका गांधी की बातों का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “प्रियंका गांधी ने यही मुद्दा उठाया है कि महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। सरकार का यह ऐसा कदम है, जिसकी जरूरत नहीं है। गुजरात में कई लोगों का नाम ‘बापू’ है, लेकिन फिर भी इस कदम को उठाया जा रहा है।”
बता दें कि भारत सरकार ने सितंबर 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 पारित किया। यह अधिनियम ग्रामीण परिवारों के उन वयस्क सदस्यों को एक वित्तीय वर्ष में सौ दिनों के मजदूरी रोजगार की कानूनी गारंटी देता है जो रोजगार की मांग करते हैं और अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हैं। यह अधिनियम केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचित क्षेत्रों में लागू होगा। अधिनियम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए रोजगार सृजित करके लोगों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है।
समाज कल्याण के अनुसार, सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपए आवंटित किए, जोकि योजना की शुरुआत के बाद से अब तक का सबसे अधिक आवंटन है। वित्त वर्ष 2013-14 में, मनरेगा के लिए बजट आवंटन 33,000 करोड़ रुपए था। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में इस योजना के अंतर्गत 45,783 करोड़ रुपए की राशि जारी की जा चुकी है।
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