
लखनऊ: धर्मांतरण कांड (conversion scandal) का मुख्य आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा (Jamaluddin alias Changur Baba) गिरफ्तारी से पहले लखनऊ के जिस होटल में ठहरा था, वहां के मैनेजर ने कुछ हैरान करने वाली बातें बताई हैं. मैनेजर के मुताबिक, छांगुर बाबा अपनी करीबी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन के साथ विकास नगर इलाके में स्थित उनके ही होटल में रुका हुआ था. उस दौरान छांगुर और नसरीन बाप-बेटी बनकर आए थे. दोनों 16 अप्रैल को आए और 5 जुलाई को गिरफ्तार होने तक यहीं पर रुके थे.
ऑफ कैमरा होटल के मैनेजर ने बताया कि छांगुर बाबा 16 अप्रैल को आया था और होटल के रूम नंबर-102 में रुका था. बाप-बेटी बनकर दोनों ने कमरा बुक कराया था. पहले चार दिन के लिए होटल बुक हुआ फिर एक हफ्ते के लिए और बाद में 10-10 दिन के लिए होटल बुकिंग इक्सटेंड कराते रहे. इस दौरान नसरीन सिर्फ खाना लेने निकलती थी. उनका किसी से मिलना जुलना नहीं होता था.
बकौल मैनेजर- उन्होंने 3 जुलाई को होटल का कमरा बदला. इसके बाद छांगुर बाबा और नीतू रोहरा रूम नंबर 104 में शिफ्ट हो गए. लेकिन दो दिन बाद 5 जुलाई को यूपी एटीएस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद पता चला कि होटल में ठहरने वाले दोनों बेहद शातिर किस्म के थे.
छांगुर बाबा ने पुलिस की सख्ती के बाद लखनऊ के विकास नगर की गुमनाम सी गली में स्थित इस होटल को अपना ठिकाना बनाया था. यह होटल पॉलिटेक्निक से सीतापुर रोड की तरफ जाने वाले रिंग रोड से महज 50 मीटर की दूरी पर अंदर पतली सी एक गली में खुला है. इसे बाबा ने लगभग ढाई महीने तक अपना अस्थाई ठिकाना बनाया था.
तमिलनाडु की मूल निवासी नीतू वोहरा शादी के बाद मुंबई में पति नवीन वोहरा के साथ रह रही थी. लेकिन लंबे समय से उसको बच्चा नहीं हो रहा था. इस बीच किसी ने ‘पीर बाबा’ बताकर उसकी मुलाकात छांगुर बाबा से करा दी. बाबा के संपर्क में आने के बाद नीतू उसके जाल में फंस गई. धीरे-धीरे छांगुर ने नीतू का धर्म बदलवा दिया, उसे नसरीन बना दिया. वहीं, उसके पति नवीन को जमालुद्दीन बना दिया.
इसके बाद दोनों पति और पत्नी छांगुर बाबा के साथ मिलकर धर्म परिवर्तन का नेटवर्क चलाने लगे. फिलहाल, पुलिस ने बाबा के बेटे को भी गिरफ्तार किया है. अब उसके बाकी करीबियों पर शिकंजा कसा जा रहा है. बीते दिनों बलरामपुर स्थित उसकी कोठी पर बुलडोजर एक्शन हुआ था. ये कोठी नसरीन के नाम पर थी. जांच में सामने आया है कि ये लोग गरीब और मजदूर वर्ग की लड़कियों, उनके परिवारों को झांसे में लेकर इस्लाम में कन्वर्ट कराते थे. जातियों के हिसाब से धर्मांतरण करने वाली लड़कियों को लाखों रुपये दिए जाते थे. इसकी रेट लिस्ट फिक्स थी.
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