
तिरुवनंतपुरम । नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन (Leader of Opposition V.D. Sateeshan) ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Chief Minister Pinarayi Vijayan) ने केरल के लोकतांत्रिक ताने-बाने (Democratic fabric of Kerala) को कमजोर किया (Has Weakened) । राज्य की कानून व्यवस्था को दुखद बताते हुए पुलिस हिरासत में यातना का मुद्दा उठाया। उन्होंने भ्रष्टाचार और घोटालों को नजरअंदाज करके “शुतुरमुर्ग जैसा रवैया” अपनाने पर सीएम को खरी-खोटी सुनाई।
सतीशन ने हाल के हफ्तों में हुई कई घटनाओं की ओर इशारा करते हुए कहा, “पुलिस खौफ का एक जरिया बनकर रह गई है, जो जनता के रक्षक की बजाय सत्ताधारी दल के वफादारों की तरह व्यवहार कर रही है।” सतीशन ने कहा कि मुख्यमंत्री, जो गृह मंत्री भी हैं, की चुप्पी “एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए अनुचित” है। नेता प्रतिपक्ष ने चेतावनी दी कि सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विपक्ष अपनी बातों को मुखर तरीके से उठाएगा। दावा किया कि ये इस सरकार के ‘अंत की शुरुआत है।’ बोले, “क्रूरता और भ्रष्टाचार की बार-बार आ रही रिपोर्ट्स को नजरअंदाज करके, विजयन ने जनता का विश्वास कम किया है और केरल के लोकतांत्रिक ताने-बाने को कमजोर किया है। इस सरकार के अंत की शुरुआत हो चुकी है।”
उन्होंने केरल छात्र संघ (केएसयू) के कार्यकर्ताओं संग हुए बर्ताव का जिक्र किया, जिन्हें हाल ही में सिर ढके और हाथों में बेड़ियां डालकर अदालत में पेश किया गया था। उन्होंने इस कृत्य को लोकतंत्र के लिए कलंक बताते हुए पूछा, “क्या वे आतंकवादी हैं या खूंखार अपराधी?” सतीशन की यह टिप्पणी माकपा की अपनी युवा शाखा के भीतर उपज रहे असंतोष की खबरों के बीच आई है।
सतीशन ने कहा, “डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के त्रिशूर जिला सचिव ने हाल ही में आरोप लगाया कि जिला नेता ‘लुटेरे गिरोह’ बन गए हैं, ये संदिग्ध सौदों से मुनाफा कमा रहे हैं और कमीशन के लिए पुलिस पोस्टिंग में भी दखल दे रहे हैं।” करुवन्नूर सहकारी बैंक घोटाला, जिसमें जमाकर्ताओं को 400 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, भी सरकार को परेशान कर रहा है। जिन परिवारों ने सर्जरी, शादियों और घरों के लिए पैसे बचाए थे, वे बेसहारा हो गए हैं।
सतीशन ने आगे कहा कि घोटाले की प्रवर्तन निदेशालय की जांच को जानबूझकर धीमा कर दिया गया है, जबकि पीड़ित राहत का इंतजार व्यर्थ ही कर रहे हैं। इस बीच, एक अन्य डीवाईएफआई कार्यकर्ता के परिवार ने पुलिस पर उसे झूठे मामले में फंसाने और हिरासत में यातना देकर मार डालने का आरोप लगाया है—इस आरोप ने संकट को और गहरा कर दिया है।
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