
बीजिंग । चीन (China) के ग्वांगडोंग प्रांत (Guangdong Province) में मच्छर जनित बीमारी चिकनगुनिया (Chikungunya) के बढ़ते मामलों ने न केवल स्वास्थ्य संकट (Health Crisis) पैदा किया है, बल्कि गोपनीयता और मानवाधिकारों को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। चीन में इन दिनों कोरोना (Corona) जैसी सख्ती बरती जा रही है। एक चौंकाने वाली घटना में, ज्हानजियांग शहर की एक अकेली मां ने खुलासा किया कि रात के समय अजनबी उनके घर में घुस आए और उनकी सहमति के बिना उनके सोते हुए बच्चों के खून के नमूने ले लिए। इनमें एक वर्दीधारी पुलिस अधिकारी भी शामिल था। इस घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है, जहां लोग इसे बीमारी नियंत्रण के नाम पर बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं।
क्या है मामला?
जानकारी के मुताबिक, यह घटना तब सामने आई जब एक अकेली मां घर लौटी और उसे पता चला कि उसके दो बच्चों के ब्लड सैंपल लिए गए हैं। मां ने एक वीडियो में अपनी आपत्ति दर्ज की, जिसमें उन्होंने बताया कि बिना उनकी अनुमति के अधिकारियों ने उनके बच्चों के बेडरूम में प्रवेश किया और ब्लड सैंपल ले लिए। महिला रात की शिफ्ट में काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद, चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर इस घटना से जुड़ा हैशटैग करीब 9 करोड़ बार देखा गया। लोगों ने सवाल उठाया कि बीमारी नियंत्रण के नाम पर अधिकारी कितनी दूर तक जा सकते हैं।
स्थानीय अधिकारियों ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि मां के बेटे को बुखार के लक्षण दिखाई दिए थे, जिसे एक स्थानीय फार्मेसी ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित किया था। अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने मां से संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन वह उपलब्ध नहीं थीं। हालांकि, जनता का गुस्सा इस बात पर है कि बिना अभिभावक की सहमति के बच्चों के साथ ऐसी कार्रवाई कैसे की जा सकती है। वीबो पर एक यूजर ने लिखा, “यह बीमारी नियंत्रण नहीं, बल्कि बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है। अगर कामकाजी माता-पिता के बच्चों के साथ ऐसा हो सकता है, तो फिर कोई सुरक्षित नहीं है।”
चिकनगुनिया का प्रकोप और सख्त उपाय
ग्वांगडोंग प्रांत के फोशान शहर में जुलाई से चिकनगुनिया वायरस का प्रकोप तेजी से फैला है, जहां अब तक 8,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। यह वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है और इसके लक्षणों में बुखार, जोड़ों में दर्द, मतली और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। हालांकि यह बीमारी आमतौर पर घातक नहीं होती, लेकिन बच्चों, बुजुर्गों और पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए जोखिमकारी हो सकती है। यह चीन में चिकनगुनिया का पहला बड़े पैमाने का प्रकोप है, जो पहले अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के कुछ हिस्सों में स्थानिक रहा है।
इस प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए ग्वांगडोंग के गवर्नर वांग वेइजोंग ने 4 अगस्त को सख्त उपायों की घोषणा की, जो कोविड-19 महामारी के दौरान अपनाए गए “जीरो-कोविड” नीति की याद दिलाते हैं। इन उपायों में शामिल हैं-
– फार्मेसियों को बुखार की दवाओं की बिक्री की अनिवार्य रिपोर्टिंग।
– मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करने के लिए व्यापक अभियान।
– नागरिकों को स्थिर पानी की निगरानी करने और मच्छरों से व्यक्तिगत सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश।
– ड्रोन का उपयोग कर मच्छरों के प्रजनन स्थलों की पहचान।
– “एलिफेंट मच्छरों” और मछलियों को तैनात करना, जो वायरस फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा को खा सकें।
– मच्छरों से बचाव के लिए अस्पतालों में मरीजों के बिस्तरों पर मच्छरदानी लगाना।
फोशान में मरीजों को तब तक अस्पताल में रहना अनिवार्य है, जब तक कि उनकी जांच में वायरस निगेटिव न आए या कम से कम एक सप्ताह तक क्वारंटीन पूरा न हो। गैर-सहयोग करने वाले परिवारों पर 10,000 युआन तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या आपराधिक आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में, गैर-सहयोगी परिवारों की बिजली काट दी गई है।
जनता में बढ़ता असंतोष
इन सख्त उपायों ने जनता में असंतोष को जन्म दिया है। कई लोगों का मानना है कि चूंकि चिकनगुनिया इंसानों के बीच नहीं फैलता, इसलिए क्वारंटीन जैसे उपाय अनावश्यक हैं। वीबो पर एक यूजर ने लिखा, “क्वारंटीन का क्या मतलब? मरीज तो दूसरों को काटने नहीं जा रहे!” इसके अलावा, कुछ निवासियों ने शिकायत की है कि उनके घरों में बिना अनुमति के प्रवेश किया गया और उनके पौधों को नष्ट कर दिया गया।
चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों ने वैश्विक चिंता को भी बढ़ाया है। अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने ग्वांगडोंग प्रांत के लिए स्तर-2 यात्रा चेतावनी जारी की है, जिसमें यात्रियों को मच्छरों से बचाव के लिए कीट प्रतिरोधी, लंबी आस्तीन के कपड़े और स्क्रीन वाली खिड़कियों वाले स्थानों में रहने की सलाह दी गई है। गर्भवती महिलाओं को प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा न करने की सलाह दी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी चेतावनी दी है कि 2004-05 की महामारी की तरह चिकनगुनिया के मामले बढ़ सकते हैं, क्योंकि 119 देशों में 5.6 अरब लोग इस वायरस के जोखिम वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
चीन का पहला बड़ा चिकनगुनिया प्रकोप
चिकनगुनिया का यह प्रकोप चीन के लिए नई चुनौती है। 2008 में पहला आयातित मामला दर्ज होने के बाद, 2010 में ग्वांगडोंग में 250 स्थानीय मामले सामने आए थे। लेकिन इस बार का प्रकोप अपने पैमाने और प्रभाव के कारण अभूतपूर्व है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ता तापमान और भारी बारिश ने मच्छरों की आबादी को बढ़ाने में योगदान दिया है।
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