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चीन ने बनाया एटम बम का भी बाप, बिना धमाके के घुटनों पर आ जाएगा दुश्मन, जानें ताकत…

July 02, 2025

नई दिल्ली. चीन (China) ने हाल ही में एक ऐसा बम (bomb) बनाने का संकेत दिया, जिसने दुनिया भर को चिंता में डाल दिया है. यह एसा बम है जो कोई तेज धमाका (loud explosion) नहीं करता, बल्कि चुपके से वार करके किसी देश की रीढ़ तोड़ सकता है. इस बम को ‘ग्रेफाइट बम’ (‘Graphite Bomb’) कहा जा रहा है, जो बिजली व्यवस्था को पूरी तरह से पंगु बना सकता है. चीनी सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके पीछे की सोच है युद्ध से पहले ही दुश्मन को आत्मसमर्पण के कगार तक पहुंचा देना.

चीन के CCTV से जुड़े एक चैनल पर इस बम का एक एनीमेशन वीडियो दिखाया गया. इसमें ज़मीन से एक मिसाइल छोड़ी गई, जिससे 90 छोटे-छोटे गोले निकलते हैं. ये छोटे गोले हवा में बारीक कार्बन फिलामेंट छोड़ते हैं, जो आसपास के बिजली ग्रिड को शॉर्ट सर्किट कर 10,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बिजली सप्लाई को ठप कर देते हैं.


इस एनीमेशन वीडियो में हालांकि इस बम के तकनीकी डिटेल नहीं दिए गए है, लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि यह हथियार अमेरिका की तरफ इराक और कोसोवो में उपयोग किए गए ग्रेफाइट बम की तरह है. इसका अनुमानित रेंज 290 किलोमीटर और वारहेड का वजन 490 किलोग्राम बताया गया है, जिससे यह ताइवान के संवेदनशील पावर सबस्टेशनों पर सटीक हमलों के लिए उपयुक्त माना जा रहा है.

इस बम को दिखाने का समय और उसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करना अपने आप में एक संदेश है. भले ही चीन ने इसे आधिकारिक रूप से तैनात नहीं किया हो, लेकिन इस क्षमता का प्रचार ताइवान को मानसिक दबाव में डालने का प्रयास है.

एशिया टाइम्स की रिपोर्ट में RAND कॉर्पोरेशन की 2023 की रिपोर्ट में हवाले से चीन के खतरनाक प्लानका खुलासा हुआ है. इसमें टिमोथी हीथ और अन्य विश्लेषकों ने कहा था कि ताइवान की रक्षा तीन स्तंभों पर टिकी है: बुनियादी ढांचा, आर्थिक स्थिति और जनता का मनोबल. चीन अगर इन तीनों को बिजली कटौती और अफरा-तफरी के ज़रिए कमजोर कर देता है, तो उसे पारंपरिक युद्ध की जरूरत ही नहीं रहेगी.

फाइनेंशियल टाइम्स की मार्च 2024 रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान की बिजली व्यवस्था मुख्य रूप से तीन ट्रांसमिशन चोकप्वाइंट्स पर निर्भर है, जो देश के दक्षिणी हिस्से से बिजली को उत्तर में मौजूद शहरी केंद्रों तक ले जाती है. अगर इन बिंदुओं पर एकसाथ हमला होता है खासकर किसी तूफान या चुनाव के समय तो इस बात की 99.7% संभावना है कि उत्तर ताइवान में लगभग पूर्ण ब्लैकआउट हो जाएगा.

अंधेरे में डूब जाएगा पूरा देश
रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2024 की अटलांटिक काउंसिल रिपोर्ट में फ्रैंकलिन क्रेमर ने चेतावनी दी कि इस तरह के ब्लैकआउट सिर्फ रोशनी बंद नहीं करेंगे, बल्कि आपातकालीन सेवाएं, स्वास्थ्य प्रणाली, परिवहन और सरकार की संचार व्यवस्था सब कुछ ठप कर देंगे. यह सिर्फ दुष्प्रभाव नहीं बल्कि रणनीति का हिस्सा होगा.

चीनी सेना यानी PLA का मकसद केवल सैनिकों को भेजना नहीं, बल्कि पहले C4ISR प्रणाली (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकॉनिसेंस) को निष्क्रिय करना है ताकि ताइवान राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से अस्थिर हो जाए.

ताइवान को घुटनों पर लाने का प्लान
RAND की अक्टूबर 2022 रिपोर्ट में सेल लिली लिखते हैं कि PLA ताइवान जैसे शहरों में युद्ध से बचना चाहता है क्योंकि वह ‘कांच की दुकान में चूहे मारने’ जैसी स्थिति बन सकती है. यानी इससे नुकसान बहुत ज्यादा होगा. इसलिए चीन की योजना शहरों को बम से नष्ट करने की नहीं बल्कि बिजली काटकर ‘बंद’ करने की है.

चीन की रणनीति सिर्फ ग्रेफाइट बम तक सीमित नहीं है. साइबर हमले, दुष्प्रचार, आर्थिक दबाव और समुद्री नाकेबंदी सब इसका हिस्सा हैं. ‘द इंटरप्रेटर’ की मई 2025 रिपोर्ट में विंसेंट सो लिखते हैं कि चीन अब ताइवान को यह समझाने में नहीं लगा है कि एकीकरण क्यों ज़रूरी है, बल्कि यह जताने में लगा है कि वह अब टालना संभव नहीं है. CSIS की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान 97% ऊर्जा और 70% भोजन आयात करता है. एक आंशिक ब्लॉकेड भी सेमीकंडक्टर उद्योग को ठप कर सकती है, और जनता में भय व भ्रम का माहौल बन सकता है.

ग्रेफाइट बम, महज़ एक हथियार नहीं, बल्कि युद्ध को जीतने की चीन की नई परिभाषा है. एक ऐसी लड़ाई लड़ना, जो बंदूकें उठाने से पहले ही विरोधी को घुटनों पर ला दे. जब बम गिरने से पहले अंधेरा छा जाए, तो लड़ाई शुरू होने से पहले ही अंत दिखाई देने लगता है.

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