
वाशिंगटन। अमेरिकी रक्षा विभाग (US Department of Defense) की नई रिपोर्ट को लेकर इन दिनों भारत से लेकर चीन तक में हलचल मची हुई है। इस रिपोर्ट में अमेरिका ने भारत को चीन से सतर्क रहने की हिदायत (India advised wary of China) दी है। अमेरिका का कहना है कि चीन भारत के साथ दोहरे मापदंड अपना रहा है। पेंटागन की रिपोर्ट में यह दावा भी है कि चीन अमेरिका और भारत को करीब नहीं आने देना चाहता। चीन ने इस रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चीन और भारत के आपसी मामलों में अमेरिका को दूर रहना चाहिए। हालांकि अगर भारत के लिहाज से देखा जाए, तो रिपोर्ट में कुछ ऐसे मसले भी हैं, जो भारत की चिंताएं बढ़ा सकते हैं।
पेंटागन की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अफ्रीका के जिबूती में मौजूद अपने इकलौते विदेशी मिलिट्री बेस के अलावा कई अन्य देशों में भी सैन्य ठिकाने बनाने की संभावना तलाश रहा है। इन देशों में भारत के कुछ पड़ोसी देश का नाम भी शामिल है। इन देशों में बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार का नाम भी जिक्र है, जहां चीन संभावित सैन्य अड्डों पर विचार कर रहा है। रिपोर्ट में पाकिस्तान का भी जिक्र है। हालांकि चीन के साथ पुराने रणनीतिक संबंधों के कारण पाक को अलग श्रेणी में रखा गया है।
स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स का हिस्सा
विशेषज्ञों की मानें तो यह चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीतिक योजना का हिस्सा है। इसके तहत चीन हिंद महासागर क्षेत्र में कई बंदरगाहों पर अपना सैन्य नेटवर्क विकसित कर रहा है। इन रणनीतिक साझेदारियों का जाल बिछाकर चीन समुद्री रास्तों पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है।
भारत के लिए क्यों चिंता?
भारत हिंद महासागर को अपना रणनीतिक क्षेत्र मानता है। ऐसे में पड़ोसी देशों में चीन के सैन्य या लॉजिस्टिक ठिकाने, भले ही सीमित क्यों ना हों, नई सुरक्षा चुनौतियां पैदा कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे चीन को मलक्का स्ट्रेट और बंगाल की खाड़ी जैसे अहम समुद्री रास्तों के पास सैन्य मौजूदगी का मौका मिल सकता है। हालांकि ऐसे किसी भी के खतरे को देखते हुए भारत भी अपनी सुरक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है।

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