
नई दिल्ली । लद्दाख(Ladakh) में पूर्ण राज्य(full state) और छठी अनुसूची(Sixth Schedule) को लेकर हुई हिंसा पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला (Former Chief Minister Farooq Abdullah)ने केंद्र सरकार(Central government) को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि लद्दाख एक सीमावर्ती राज्य है, इसकी जमीन पर चीन नेहरू के जमाने से ही दावा करता आ रहा है। वर्तमान में जो आंदोलन हो रहा है। उससे वहां पर लोगों के मन में असंतोष है, ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द उनकी आकांक्षाओं को समझकर उनसे बातचीत शुरू कर देनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजित होने से पहले लद्दाख क्षेत्र के भी मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि यह एक संवेदनशील क्षेत्र है। केंद्र को यहां पर जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने सोनम वांगचुक पर लगाए जा रहे आरोपों को साफ करते हुए वांगचुक का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वांगचुक का इस हिंसात्मक आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। वह एक गांधीवादी आंदोलनकर्ता हैं। अब लद्दाख के लोग उनके गांधीवादी प्रदर्शन से तंग आ चुके हैं। इसलिए यह हिंसा हुई है।
इकनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, “मैं सरकार को बता देना चाहता हूं कि यह एक सीमावर्ती राज्य है। यहां पर चीन घात लगाए बैठा हुआ है। उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। पूरी दुनिया जानती है कि चीन के पास हमारी कितनी जमीन है। हम कब तक दुनिया से झूठ बोलते रहेंगे? यह एक संवेदनशील क्षेत्र है, ऐसे में अब समय आ गया है कि जल्दी से जल्दी हमें इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझा लेना चाहिए।”
नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर केंद्र सरकार यहां पर बल का प्रयोग करती है, तो मामला और भी ज्यादा बिगड़ सकता है। क्योंकि काफी समय से वांगचुक के पीछे गांधी वादी आंदोलन कर रहे, लद्दाख के लोगों का सब्र का बांध अब टूट चुका है।
आपको बता दें, क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के नेतृत्व में लद्दाख में पूर्ण राज्य को लेकर आंदोलन चल रहा है। लेकिन मंगलवार और बुधवार के बीच लद्दाख की राजधानी लेह में हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने भारतीय जनता पार्टी के ऑफिस को फूंक दिया और कई गाड़ियों में आग लगा दी।
सरकारी बयान के मुताबिक इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों को भी निशाना बनाया, जिसकी वजह से फायरिंग हो गई और उसमें 4 लोगों की मौत हो गई। फिलहाल सरकार ने सोनम वांगचुक के ऊपर भड़काऊ भाषण देने और लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं सरकार ने उनके एनजीओ को विदेश से फंडिंग लेने पर भी बैन लगा दिया है।
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