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तिब्‍बत को लेकर चीन की नई साजिश, घोषित करना चाहता है अपना दलाई लामा, दो गोपनीय दस्तावेज से हुआ खुलासा

October 09, 2022

ल्हासा/तिब्बत । चीन (China) तिब्बत (Tibet) और निर्वासित दलाई लामा (Dalai Lama) को लेकर लगातार आक्रामक रुख दिखाता रहा है। हाल ही में चीन के दो गोपनीय आंतरिक दस्तावेज (confidential internal documents) से एक खास रणनीति का खुलासा हुआ है। इनसे पता चलता है कि कैसे 14वें दलाई लामा के तौर पर वो अपने आदमी को बिठाना चाहता है।

धार्मिक आजादी और मानवाधिकार से जुड़ी मैगजीन बिटर विंटर के एडिटर इन चीफ मार्को रेस्पिंटी का कहना है कि रिपोर्ट दो अनदेखी और महत्वपूर्ण चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) नीति दस्तावेज पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये दस्तावेज चीन में प्रभावशाली और कुशल तिब्बती शोधकर्ताओं को भेजे गए हैं। यह प्रकट करता है कि चीनी सरकार दलाई लामा के बाद के युग की विस्तृत तैयारी कर रही है। इस रिपोर्ट में दलाई लामा के निधन को भुनाने और उत्तराधिकारी चुनने की चीन की योजनाओं का विवरण है। हाल ही में दलाई लामा ने घोषणा की थी कि वह तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हस्तक्षेप और पुनर्जन्म प्रणाली को बचाने के लिए फिर से जन्म नहीं लेंगे।


तैयार किया है मास्टर प्लान
बिटर विंटर मैगजीन के मुताबिक 30 पन्नों की एक नई रिपोर्ट इस संभावना की पुष्टि करती है। तिब्बत, दलाई लामा, और पुनर्जन्म की भू-राजनीति नाम की इस रिपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय तिब्बत नेटवर्क (आईटीएन) और तिब्बत न्याय केंद्र द्वारा जारी किया गया। दस्तावेज से पता चलता है कि कैसे चीनी शासन 14वें दलाई लामा युग के परम पावन के रूप में पुनर्जन्म की तिब्बती बौद्ध प्रथा का अनुपालन करने के लिए विस्तृत योजनाओं को लागू करने में तेजी ला रहा है और अपनी मौजूदा सरकारी मशीनरी में तिब्बती संस्कृति के इस पहलू को भी सहयोजित करने की रणनीति को आगे बढ़ा रहा है।

तिब्बत की पहचान खत्म करने की साजिश
इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के प्लान के दूरगामी प्रभाव होंगे और इसके जरिये चीन तिब्बती पहचान को तोड़ना और फिर से आकार देना चाहता है। चीन जिस तरह से तिब्बती बौद्ध धर्म की रचना को बदलना चाहता है उसका उद्देश्य दलाई लामा के साथ तिब्बती लोगों के गहरे संबंध को तोड़ना है और इसमें हाईटेक निगरानी और पुलिसिंग के साथ मठों और भिक्षुणियों की एक भयावह प्रणाली को खड़ा करना है। इस प्लान के तहत भिक्षुओं और भिक्षुणियों को धार्मिक संस्थानों से निष्कासित कर दिया गया है और कुछ को देशभक्ति और फिर से तौर-तरीके सिखाने के अभियान के अधीन कैंपों में भेज दिया गया है।

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