विदेश

Biden के शपथ लेते ही China ने Trump की टीम के खिलाफ उठाया बड़ा कदम

वाशिंगटन । अमेरिका (America) में जो बाइडेन (Joe Biden) की नई सरकार ( new government) आते ही चीन (China) ने डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) की टीम के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है. चीन ने अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ( former US Secretary of State Mike Pompeo), पूर्व एनएसए रॉबर्ट ओ ब्रायन (former NSA Robert O. Bryan) समेत ट्रंप सरकार के नौ अधिकारियों पर प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया है.

चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, “पिछले कुछ सालों में अमेरिका में कुछ चीन विरोधी स्वार्थी राजनेताओं ने अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए और चीन के खिलाफ अपने पूर्वाग्रहों की वजह से अमेरिका और चीन के लोगों के हितों की अनदेखी की. अमेरिकी नेताओं ने सुनियोजित तरीके से कई ऐसे कदम उठाए जिससे चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप हो रहा था. इन कदमों से चीन के लोग अपमानित हुए और अमेरिका-चीन के संबंधों को नुकसान पहुंचा. चीन की सरकार देश की संप्रभुता, सुरक्षा और हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.”



चीन ने अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, पूर्व एनएसए रॉबर्ट ब्रायन और जॉन बॉल्टन समेत ट्रंप सरकार में शामिल रहे आठ लोगों पर प्रतिबंध लगाए हैं. चीन के प्रतिबंधों के तहत, अब ये अमेरिकी नेता और उनके परिवार के सदस्य चीन, हॉन्ग कॉन्ग और मकाउ में प्रवेश नहीं कर सकेंगे. प्रतिबंधित किए गए अमेरिकी अधिकारी और उनसे जुड़े संगठन या कंपनियां अब चीन के साथ किसी तरह का कारोबार भी नहीं कर सकेंगी.

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ट्रंप प्रशासन के आखिरी दिन दिए एक बयान में वीगर मुसलमानों को लेकर चीन की तीखी आलोचना की थी. पोम्पियो ने कहा था कि चीन ने वीगर मुसलमानों का दमन कर नरसंहार किया है. माइक पोम्पियो ने कहा, ”मेरा मानना है कि चीन का ये नरसंहार अब भी जारी है. हम लोग देख सकते हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार सुनियोजित तरीके से वीगरों को तबाह कर रही है.”

बाइडेन सरकार में विदेश मंत्री बनने जा रहे एंटोनी ब्लिंकन ने भी पोम्पियो के रुख का समर्थन किया है. बाइडेन की टीम ने इससे पहले भी कहा था कि चीन की निरंकुश सरकार ने वीगरों का दमन जिस तरह से किया है, उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती. चीन वीगर मुसलमानों के दमन के आरोप को खारिज करता रहा है. चीन कहता है कि आतंकवाद से निपटने के लिए उसके यहां प्रशिक्षण केंद्र चलाए जा रहे हैं और वीगरों को किसी कैद में नहीं रखा गया है. चीन ये भी कहता है कि ये उसका आंतरिक मामला है और दूसरे देशों को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.

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