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चीन का खेल खत्म! भारत बनेगा ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ का नया बादशाह

November 03, 2025

डेस्क: आपके स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों और देश की सुरक्षा करने वाले रक्षा उपकरणों तक, एक छोटी लेकिन बेहद शक्तिशाली चीज का इस्तेमाल होता है – रेयर अर्थ मैग्नेट (Rare Earth Magnets). यह वो जादुई चुंबक है, जिसके बिना आज की टेक्नोलॉजी (Technology) की दुनिया अधूरी है. लेकिन चिंता की बात यह है कि इस जादुई चुंबक के बाजार पर अब तक सिर्फ एक ही देश, चीन (China) का एकछत्र राज रहा है. पर अब यह तस्वीर बदलने वाली है. भारत सरकार (Indian Goverment) एक ऐसी दमदार योजना पर काम कर रही है, जो न सिर्फ इस क्षेत्र में चीन के दबदबे को सीधी चुनौती देगी, बल्कि भारत को इसका एक बड़ा वैश्विक उत्पादक और सप्लायर भी बनाएगी. खबर है कि भारत अपने इंसेंटिव प्रोग्राम को लगभग तीन गुना बढ़ाकर 7,000 करोड़ रुपये करने की तैयारी में है, ताकि देश में ही इन शक्तिशाली मैग्नेट का उत्पादन शुरू हो सके.


दरअसल, आज दुनिया में बनने वाले लगभग 90% रेयर अर्थ मैग्नेट पर चीन की मुहर लगी होती है. इसका मतलब है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी कंपनियां चीन पर निर्भर हैं. चीन ने अपनी इस ताकत का इस्तेमाल कई बार वैश्विक मंच पर एक हथियार की तरह भी किया है. हाल ही में अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव के बीच चीन ने अपने निर्यात नियमों को और कड़ा कर दिया, जिससे दुनियाभर की कंपनियों के लिए सप्लाई का संकट खड़ा हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुछ समय पहले साफ कहा था कि जरूरी खनिजों का इस्तेमाल किसी के खिलाफ हथियार की तरह नहीं होना चाहिए. इसी सोच के साथ भारत अब एक स्थिर और भरोसेमंद सप्लाई चेन बनाने की दिशा में यह बड़ा कदम उठा रहा है, ताकि भविष्य में दुनिया को ऐसी किसी भी मनमानी का सामना न करना पड़े.

सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना सिर्फ हवा में नहीं है, बल्कि इसके लिए एक ठोस खाका तैयार किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है. पहले इस योजना के लिए करीब 290 मिलियन डॉलर (लगभग 2,400 करोड़ रुपये) का बजट रखा गया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 7,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा किया जा रहा है. इस भारी-भरकम राशि का इस्तेमाल प्रोडक्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) और कैपिटल सब्सिडी के जरिए लगभग पांच बड़ी कंपनियों को मदद देने में किया जाएगा. इसका सीधा मकसद है कि दुनिया की बड़ी मैग्नेट बनाने वाली कंपनियां भारत में अपनी फैक्ट्री लगाएं या भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम शुरू करें. इससे देश में न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन ऊर्जा और रक्षा उपकरणों के लिए हमें चीन से मैग्नेट आयात करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.

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