
बीजिंग। आजादी के बाद से ही भारत (India) ने स्वतंत्र विदेश नीति (Independent Foreign Policy.) को लेकर अपना रुख स्पष्ट रखा है। दुनियाभर में भारत के इस रुख की तारीफ होती है। इस नीति के तहत बिना किसी देश का पक्ष लिए भारत अपने राष्ट्रीय हित (National interest) को सर्वोपरि रखता है। चीन (China) भी भारत की इस नीति का मुरीद है। चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की जमकर तारीफ की है, साथ ही अमेरिका को आड़े हाथों लिया है। ग्लोबल टाइम्स चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माना जाता है। उसने अपने ताजा लेख में भारत की विदेश नीति को संतुलित और रणनीतिक करार देते हुए कहा कि भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्वायत्तता को मजबूती से स्थापित किया है।
चीनी अखबार ने ‘बहुध्रुवीय विश्व में चीन और भारत के बीच आपसी संपर्क बढ़ाना एक तर्कसंगत विकल्प’ शीर्षक के साथ संपादकीय लिखा है। इसने लिखा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा करेंगे। यह सात साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली चीन यात्रा होगी, जो भारत-चीन संबंधों के धीमे लेकिन स्थिर सुधार की ओर बढ़ने का प्रतीक है। एससीओ तियानजिन शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी बहुपक्षीय सहयोग ढांचे की इसकी पुनर्स्थापना को दर्शाती है।
अखबार ने आगे लिखा कि हाल के महीनों में कई घटनाक्रम- जैसे हिमालयी सीमा पर सैनिकों द्वारा मिठाइयों का आदान-प्रदान, दक्षिण-पश्चिम चीन के शिजांग स्वायत्त क्षेत्र में भारतीय तीर्थयात्रियों के मार्ग की बहाली, और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की जल्द शुरूआत की घोषणा- सभी इस बात का संकेत हैं कि दोनों प्रमुख देश 75वीं राजनयिक संबंध स्थापना की वर्षगांठ के अवसर पर अपने संबंधों को मजबूत कर रहे हैं।
रणनीतिक जरूरतों से प्रेरित सुधार
अखबार ने लिखा है कि भारत-चीन संबंधों में वर्तमान सुधार का मुख्य कारण साझा रणनीतिक जरूरतें हैं। गलवान घाटी की घटना के बाद से, दोनों पक्षों ने सीमा तनावों को मैनेज करने में काफी संसाधनों का उपयोग किया है। दोनों देश अब यह मान रहे हैं कि अंतहीन सीमा विवादों के बजाय आर्थिक विकास और अधिक जरूरी रणनीतिक प्राथमिकताओं के लिए सीमित संसाधनों का उपयोग करना अधिक तर्कसंगत विकल्प है। 2024 में, द्विपक्षीय व्यापार 138.478 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.7 प्रतिशत अधिक है। सीधी उड़ानों की बहाली, वीजा प्रक्रियाओं को सरल बनाने, सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने जैसे द्विपक्षीय निर्णयों से संकेत मिलता है कि आर्थिक और व्यापार सहयोग सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है।
पश्चिमी मीडिया को लताड़ा
चीनी अखबार लिखता है कि पश्चिमी मीडिया भारत-चीन संबंधों में “गर्माहट” को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने में बिजी है। वे अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को जोड़ते हुए भारत-चीन संबंधों में सुधार को तथाकथित “अमेरिका-विरोधी गठबंधन” के रूप में बता रहे हैं। पश्चिमी मीडिया दोनों देशों की स्वतंत्र विदेश नीतियों को समझने में बहुत बड़ी गलती कर रहा है। हालांकि अखबार ने एक रिपोर्ट को सही करार दिया। दरअसल अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि “भारत का चीन के साथ संबंधों को दोबारा से ठीक करना उसकी रणनीतिक स्वायत्तता नीति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो कठोर गुटबाजी के बजाय राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है।”
चीनी अखबार लिखता है, “कुछ अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स को “ड्रैगन और हाथी के एक साथ नाचने” की संभावना से असहजता इसलिए है क्योंकि उनके दिमाग में अभी भी शीत युद्ध की मानसिकता झलक रही है। जब अमेरिका भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने की आलोचना करता है, तो इसका साफ मतलब है कि वह चाहता है कि भारत “कोई एक पक्ष चुने।” अखबार ने आगे लिखा कि इसका लक्ष्य भारत को अमेरिका की तथाकथित “इंडो-पैसिफिक रणनीति” में चीन को रोकने के लिए एक मोहरे में बदलना है। लेकिन तथ्य बताते हैं कि ये लोग भारत की पूर्ण रणनीतिक स्वायत्तता को समझ नहीं पाए हैं।
अखबार ने अपने लेख में 15 अगस्त को लाल किले से दिए गए पीएम मोदी के संबोधन का भी जिक्र किया। अखबार ने लिखा, “अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि “मोदी उनके हितों को खतरे में डालने वाली किसी भी नीति के खिलाफ दीवार की तरह खड़ा रहेगा। भारत अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए कभी समझौता नहीं करेगा।” अखबार ने अंत में लिखा है कि भारत कम से कम 40 देशों के साथ व्यापार विविधीकरण रणनीति को आगे बढ़ा रहा है। यह रणनीतिक स्वायत्तता चीन द्वारा समर्थित स्वतंत्र विदेश नीति के साथ मेल खाती है।
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