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सराफा में डली डकैती के बाद खुली चौपाटी….145 साल पहले बिकती थी अफीम…

August 26, 2025

इंदौर।  शहर (City) की पहचान सराफा चौपाटी (Sarafa Chowpatty) इन दिनों राजनीति (Politics) का अखाड़ा बनी हुई है और सराफा (Sarafa) के व्यापारी अब चौपाटी को हटाने की मांग पर अड़े हैं, तो दूसरी तरफ महापौर का दो टूक कहना है कि परम्परागत चौपाटी तो मौजूद रहेगी और जो फिजूल की दुकानें हैं, उन्हें ही हटाया जाएगा। खान-पान की 80 दुकानें लगती रहेंगी। सराफा का इतिहास अगर टटोला जाए तो एक बड़ी रौचक जानकारी सामने आती है। 145 साल पहले सराफा में अफीम बिकती थी। उसके बाद महाराजा तुकोजीराव ने पहलवानों के लिए दूध, मक्खन और मिठाई की दुकानें खुलवाईं।


कल भी सराफा चौपाटी (Sarafa Chowpatty) को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव (Pushyamitra Bhargava) ने सराफा एसोसिएशन के व्यापारियों से सीधी चर्चा की। घंटेभर से अधिक समय तक चली। इस बैठक में जहां सराफा व्यापारियों ने दो टूक कहा कि वे अब चौपाटी नहीं चलने देंगे, क्योंकि इससे सुरक्षा के साथ-साथ किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका भी है, क्योंकि 200 से अधिक गैस सिलेंडर चौपाटी में इस्तेमाल होते हैं, वहीं महापौर का कहना है कि सराफा चौपाटी इंदौर की पहचान है और इसे हटाने नहीं दिया जाएगा, जो परम्परागत व्यंजनों की 80 दुकानें हैं, वे चलती रहेंगी और चाइनीज फूड, मोमोज, पिज्जा सहित अन्य जो दुकानें खुली हैं, उन्हें ही हटवाएंगे। इस संबंध में निगमायुक्त को गाइडलाइन और नियम बनाने को भी कहा है। दूसरी तरफ सराफा व्यापारियों का दो टूक कहना है कि वे अपने ओटले अब चौपाटी (Chowpatty) के लिए किराए पर नहीं देंगे और जरूरत पड़ी तो कोर्ट-कचहरी का भी सहारा लेंगे, वहीं जाने-माने इतिहासकार जफर अंसारी का कहना है कि 1880 में सराफा में अफीम का कारोबार होता था और उसके बाद पहलवानों के लिए दूध-मक्खन की दुकानें खुलवाईं और 20वीं सदी की शुरुआत में बड़ा सराफा की दुकानें शुरू हुर्इं और 60 के दशक में राजस्थान, गुजरात और अन्य जगह के लोगों ने यहां आकर शाम की दुकानें और खानपान के नए प्रयोग शुरू किए। सराफा में एक बड़ी डकैती भी हुई थी और कुछ व्यापारियों की हत्या भी उसमें हुई। इसके बाद सुरक्षा के मद्देनजर खान-पान की दुकानें खुलवार्इं, ताकि रात में भी यहां चहल-पहल रहे और महाराजा हरिराव होलकर ने एक पुलिस चौकी की स्थापना भी करवाई, जो आज सराफा थाने के रूप में मौजूद है। श्री अंसारी ने छोटा सराफा का एक दुर्लभ चित्र 1880 का भी उपलब्ध कराया, जिसमें कुछ दुकानें और उनके बाद खरीददार मौजूद हैं। इतिहास से लेकर वर्तमान तक सराफा चौपाटी ने एक लम्बा सफर तय किया है।

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