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CJI गवई दलित समुदाय से हैं, यह उच्च जाति वाले पचा नहीं पा रहे हैं; जूता कांड पर केंद्रीय मंत्री बोले

October 10, 2025

 

नई दिल्‍ली । CJI गवई दलित समुदाय(Dalit community) से हैं, यह उच्च जाति वाले पचा नहीं पा रहे हैं; जूताकांड पर भड़के केंद्रीय मंत्री केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले (Union Minister Ramdas Athawale)ने गुरुवार को मांग की कि CJI यानी भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई(Chief Justice B R Gavai) पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले व्यक्ति के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि यह घटना इसलिए हुई क्योंकि उच्च जाति के कुछ लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर सके कि दलित समुदाय से आने वाले न्यायमूर्ति गवई इतने ऊंचे पद पर पहुंच गए हैं।


प्रमुख दलित नेता और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री आठवले ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह घटना निंदनीय है। मंत्री ने कहा, ‘प्रधान न्यायाधीश पर हमले का प्रयास पहली बार हुआ है। भूषण गवई दलित समुदाय से हैं और उन्होंने अपनी योग्यता के आधार पर यह पद हासिल किया है।’ उन्होंने कहा कि उच्च जाति समुदाय के कुछ सदस्य इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं।

आठवले ने कहा, ‘मैं मांग करता हूं कि आरोपी पर एससी/एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए, क्योंकि न्यायमूर्ति गवई पर इसलिए हमले का प्रयास किया गया क्योंकि वह दलित हैं। इससे पहले किसी भी प्रधान न्यायाधीश पर हमला नहीं हुआ था।’

सीजेआई ने दी प्रतिक्रिया

गवई ने गुरुवार को कहा कि वह और जस्टिस के विनोद चंद्रन उस समय स्तब्ध रह गए थे जब छह अक्टूबर को एक वकील ने उन पर जूता फेंकने का प्रयास किया था। प्रधान न्यायाधीश ने जूता फेंकने के प्रयास की घटना पर कहा, ‘सोमवार को जो कुछ हुआ उससे मैं और मेरे विद्वान साथी (न्यायमूर्ति चंद्रन) बहुत स्तब्ध हैं; हमारे लिए यह एक भुलाया जा चुका अध्याय है।’

क्या हुआ था उस दिन

सोमवार को राकेश किशोर नाम के 72 वर्षीय वकील ने कोर्ट में सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। हालांकि, तब हरकत में आए सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक लिया था। उस दौरान सीजेआई ने किशोर को जाने देने के लिए कहा था। वहीं, दिल्ली पुलिस ने भी परिसर में लंबी पूछताछ के बाद वकील को छोड़ दिया था। बुधवार को बेंगलुरु में किशोर के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने किशोर की सदस्यता खत्म कर दी है। इसके अलावा वकील के सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश पर भी रोक लगाई गई है। जूता फेंकने के मामले में आरोपी का कहना है कि वह भगवान विष्णु की मूर्ति को लेकर सीजेआई की तरफ से की गई टिप्पणी से आहत है।

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