
नई दिल्ली । देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई(Justice BR Gavai) ने मंगलवार को गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India)के पास यात्री जेटी(Passenger jetties) और टर्मिनल प्रोजेक्ट(Terminal Project) के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। इस दौरान सीजेआई गवई ने ‘आमची मुंबई’ और ‘त्यांची मुंबई’ के बीच के अंतर को भी समझाया है।
बता दें कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील ने आमची मुंबई और एलीट क्लास के इस्तेमाल किए जाने वाले त्यांची मुंबई का जिक्र किया था। इस पर सीजेआई गवई ने कहा, “आमची मुंबई कोलाबा में नहीं रहती है। कोलाबा में केवल त्यांची मुंबई रहती है। आमची मुंबई मलाड, ठाणे, घाटकोपर में रहती है।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में कोलाबा में यात्री जेटी और टर्मिनल सुविधा के निर्माण के खिलाफ क्लीन एंड हेरिटेज कोलाबा रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने एक याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि यह परियोजना समाज के केवल एक खास वर्ग के लाभ के लिए बनाई जा रही है और बिना किसी जन सुनवाई और मंजूरी के ही इसे तैयार किया जा रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद कहा, “यह ठीक वैसा ही है जैसे हर कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चाहता है, लेकिन खुद घर के पास नहीं। शहर में जब कुछ अच्छा हो रहा होता है, तो हर कोई सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है।”
एक रिपोर्ट में सीजेआई गवई के हवाले से बताया, “आप देख सकते हैं कि समुद्र किनारे सड़क होने के क्या लाभ हैं? दक्षिण मुंबई से एक इंसान 40 मिनट में वर्सोवा पहुंच जाता है जबकि पहले इसमें तीन घंटे लगते थे।” मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि इस तरह की परियोजनाओं को वैश्विक स्तर पर लागू किया गया है। सीजेआई ने अमेरिका के मियामी जैसे शहरों का हवाला भी दिया।
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