
नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Country) जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gawai) ने शनिवार को कहा है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) में हाईकोर्ट (High Court) से सुपीरियर नहीं है। इस दौरान CJI ने कहा है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों को ही संवैधानिक कोर्ट का दर्जा मिला है और इसीलिए उच्चतम न्यायालय हाईकोर्ट से श्रेष्ठ नहीं कहला सकता है। CJI ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम किसी हाईकोर्ट कॉलेजियम को जज पद के लिए किसी खास नाम की सिफारिश करने का निर्देश नहीं दे सकता।
CJI गवई 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। संबोधन के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम भी उच्च न्यायालय कॉलेजियम को नामों की सिफारिश करने का निर्देश नहीं दे सकता। सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट से बड़ा न्यायालय नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “SC और HC दोनों ही संवैधानिक कोर्ट हैं, और जहां तक संवैधानिक व्यवस्था का प्रश्न है वे एक-दूसरे से न तो निम्नतर हैं और न ही श्रेष्ठ।”
जजों की नियुक्ति पर पहला फैसला हाईकोर्ट का
जस्टिस गवई ने कहा है कि जजों की नियुक्ति पर पहला फैसला हाईकोर्ट कॉलेजियम ही लेता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम सिर्फ हाईकोर्ट कॉलेजियम को नामों की सिफारिश करते हैं और उनसे नामों पर विचार करने का अनुरोध करते हैं, और जब वे इस बात से संतुष्ट हो जाते हैं कि उम्मीदवार नियुक्ति के योग्य हैं, तभी नाम सुप्रीम कोर्ट के पास आते हैं।”
जस्टिस संजीव खन्ना ने शुरू की थी एक प्रथा
जस्टिस गवई ने बताया कि जब पूर्व मुख्य जस्टिस संजीव खन्ना इस पद पर थे, तब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उम्मीदवारों के साथ बातचीत करने की एक प्रथा शुरू की थी, और यह बेहद में मददगार साबित हुई है। मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि उम्मीदवारों के साथ आधे घंटे बातचीत करने से भी यह पता लगा सकता है कि वे समाज में योगदान देने के लिए कितने उपयुक्त होंगे।
कोई भी मामला छोटा नहीं- CJI गवई
मुख्य न्यायाधीश गवई ने आगे स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत का जिक्र करते हुए उनसे प्रेरणा लेने की बात कही। उन्होंने कहा, “कानूनी पेशेवरों के रूप में, आपको यह समझना चाहिए कि कोई भी मामला इतना छोटा नहीं है कि उस पर ध्यान न दिया जा सके। उन्होंने आगे कहा, “किसी के लिए जो मामूली विवाद या मामूली शिकायत लग सकती है, वह दूसरों के लिए जीवन, सम्मान या अस्तित्व का प्रश्न हो सकती है। आपके द्वारा निपटाया गया हर मामला, आपके द्वारा दी गई हर तर्क, हमारे राष्ट्र के नैतिक और सामाजिक ताने-बाने में योगदान देता है।”
इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश भी उपस्थित थे। CJI गवई ने कहा, “यह भारत का भाग्य है कि संथाल समुदाय, जो 1855 में अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले उठने वालों में से था, अब उसकी बेटी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन हैं।”
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