
उज्जैन। मकर संक्रांति पर्व स्नान के बीच रामघाट क्षेत्र में चैंबरों की सफाई तथा टूट-फूट की मरम्मत का काम शुरू किया गया। सफाई के लिए नालों के चैंबर के मुंह खोलकर छोड़ दिए गए, जिसके चलते आज सुबह इनका पानी शिप्रा में मिल रहा था। आसपास हुई खुदाई से निकले मलबे के कारण भी घाट पर आ रहे लोगों को परेशानी हो रही है। कहने को तो शिप्रा को शहर के बड़े नालों से मुक्त करने के लिए 402 करोड़ खर्च कर सीवरेज लाईन डालने का काम टाटा कंपनी पिछले करीब 4 साल से कर रही है। यह काम अभी भी आधा अधूरा है और काम पूरा करने की डेड लाईन इस साल 31 मार्च तक की ही है।
यही कारण है कि शहर के 13 बड़े नालों के अलावा इनसे जुड़े छोटे कई नाले शिप्रा में मिल रहे हैं। इनमें से कुछ नालों के चैंबरों की सफाई रामघाट क्षेत्र में शुरू की गई है। इसके लिए घाट पर लगे लाल पत्थरों को भी कई जगह से उखाड़ा गया है। चैंबरों के आसपास मलबे के ढेर लगे हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि चैंबरों की सफाई हाथों हाथ नहीं होने से सारा दूषित पानी रामघाट क्षेत्र में घाटों की सीढिय़ों से होता हुआ शिप्रा नदी में मिल रहा है। आसपास खुदाई के कारण भी श्रद्धालुओं को रामघाट पहुंचने में परेशानी हो रही है। नालों के पानी से होकर ही लोगों को निकलना पड़ रहा है।
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