
इंदौर। लोक निर्माण विभाग में सरकारी भवन मरम्मत और अन्य कार्यों के नाम पर ठेकेदारों और अधिकारियों की मनमानी हमेशा से भारी रही है। तीन दिन पहले 18 कार्यों के तीन करोड़ से ज्यादा के टेंडर शिकायत होने के बाद निरस्त किए गए। मामले में विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों की गलती भी सामने आई है, जिससे लिपिक और आउटसोर्स कर्मचारी के कार्य दूसरे कर्मचारियों को सौंप दिए गए हैं।
लोक निर्माण विभाग के इंदौर डिवीजन क्रमांक 1 में तकरीबन 5 महीने से स्थायी कार्यपालन यंत्री की दरकार बनी हुई है। पूर्व में मनोज सक्सेना के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद एसएन सोनी, जयकुमार मीणा को प्रभारी बनाया गया था, लेकिन ठेकेदारों से पटरी नहीं बैठने के चलते इन्हें वापस मूल कार्य पर बुलवा लिया गया। अब भोपाल से मनीष उदैनियां को प्रभारी कार्यपालिक मंत्री के रूप में प्रभार दिया गया है, जबकि इस बड़े डिवीजन में स्थायी रूप से कार्यपालन यंत्री की नियुक्ति आवश्यक है।
विभाग में ठेकेदारों का बोलबाला वर्षों से रहा है। मेंटेनेंस से जुड़े 18 कार्यों की निविदा के लिए टेंडर बुलाए गए थे, जो 3 मार्च तारीख को खोले गए। इसके बाद अन्य ठेकेदारों ने इसका विरोध किया और चीफ इंजीनियर से लेकर लोकायुक्त तक शिकायत कर दी। इससे अधिकारी सकते में आए और तुरंत मामला दबाने के चक्कर में लिपिक और एक आउटसोर्स कर्मचारी को उनके कार्य से हटा दिया गया। उनके स्थान पर दो अन्य कर्मचारियों को लगाया गया है।
यह शिकायत लोकायुक्त में : ठेकेदारों ने संयुक्त रूप से लोकायुक्त में शिकायत की है कि अपूर्व और मीरा इंटरप्राइजेस को टेंडर पास करने में गंभीर अनियमितता विभाग की ओर से की गई है। ठेकेदारों ने चीफ इंजीनियर को जो शिकायत की है, उसमें अपूर्व इंटरप्राइजस को एक टैंडर में पात्र बताया गया है तो इसी तारीख में इसी निविदा के दूसरे टैंडर में अपात्र दिखाकर दूसरी फर्म को टैंडर देने और लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है।
अब जांच पर सबकी नजर : ठेकेदारों के बढ़ते विरोध और शिकायत के बाद कार्यपालन यंत्री मनीष उदैनियां ने 3 मार्च को निविदा के 18 कार्यों के 3 करोड़ से ज्यादा के टेंडर निरस्त कर दिए हैं। अब विभाग और ठेकेदारों में चर्चा है कि जांच किस स्तर तक जाती है और इसमें सिग्नेचर अथॉरिटी की भूमिका को तलाश जाता है या नहीं इसकी चर्चा हो रही है।
तय राशि से कम दर : इस शिकायत में पांच टेंडर अलग-अलग सरकारी भवन की मरम्मत के लिए लगाए गए थे, जिनकी राशि तकरीबन 19 से 20 लाख रुपए प्रत्येक की रही। इसमें अपूर्व, मीरा और रूही एंटरप्राइजेस ने पार्टिसिपेट किया था। जो टेंडर निकाले गए थे वह 31 और 35 फीसदी तय राशि से कम दर के थे।
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