
वाशिंगटन। ब्रिक्स (BRICS) समूह को अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) ने 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ (10% Additional Tariff) की धमकी दी। जब ट्रंप से पूछा गया कि यह धमकी भारत के लिए भी है, तो उनका जवाब था- हां, अगर वो ब्रिक्स के साथ हैं तो। इस चेतावनी ने भारत को एक मुश्किल स्थिति में ला खड़ा किया है। भारत इस समय अमेरिका के साथ एक अनुकूल व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश में जुटा हुआ है, जिसे लेकर काफी उम्मीदें हैं। भारतीय अधिकारी लंबे समय से वॉशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं और जल्द ट्रेड डील को लेकर आशांवित हैं।
ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि भारत को ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों के साथ 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने ब्रिक्स को “अमेरिका विरोधी” देशों का समूह बताया। यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही ट्रंप ने कहा था कि वह भारत के साथ एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के बेहद करीब हैं-ऐसा समझौता जिससे भारत को 26% के पारस्परिक टैरिफ से राहत मिलने की उम्मीद है।
ब्रिक्स पर क्यों तमतमाए ट्रंप, भारत की सूझबूझ
ट्रंप की यह ताजा धमकी ब्राज़ील में दो दिन तक चले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद आई, जिसमें सदस्य देशों ने व्यापार को विकृत करने वाले टैरिफ की आलोचना करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया था। ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका ने ट्रंप के बयानों की कड़ी आलोचना की, लेकिन भारत ने इस पर सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह दर्शात करता है कि भारत अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर संतुलन साधने की रणनीति अपना रहा है।
भारत ने कहा: डॉलर को चुनौती देना हमारा मकसद नहीं
नई दिल्ली के अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप की इस ताजा धमकी से वे फिलहाल बहुत चिंतित नहीं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति की धारणा है कि ब्रिक्स अमेरिकी डॉलर की वैश्विक भूमिका को चुनौती देना चाहता है, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह भारत का उद्देश्य नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि भारत ब्रिक्स की सिंगल करंसी की पहल का समर्थन नहीं करता और स्थानीय मुद्रा में व्यापार केवल जोखिम प्रबंधन का एक तरीका है, न कि ‘डी-डॉलराइजेशन’ की कोशिश।
वरिष्ठ भारतीय राजनयिक पी. कुमारन ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के बीच ट्रंप की टैरिफ धमकी पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा, “इस विषय पर बातचीत का अवसर नहीं मिला।”
2026 में भारत को BRICS अध्यक्षता
भारत 2026 में ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता संभालने वाला है। ऐसे में उसे चीन और रूस जैसे सदस्यों से खुद को अलग दिखाना होगा, जो ब्रिक्स को अमेरिका के खिलाफ एक मज़बूत मंच के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। भारत की रणनीति अपनी तटस्थ मुद्रा नीति और रणनीतिक महत्व के ज़रिए वॉशिंगटन से भिन्न व्यवहार की अपेक्षा रखना है।
विश्व व्यापार संगठन में भारत के पूर्व मुख्य वार्ताकार और वर्तमान में ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मोहन कुमार का कहना है, “ट्रंप ब्रिक्स के उन सदस्यों से नाराज हैं जो वैकल्पिक रिजर्व करेंसी की बात कर रहे हैं। लेकिन भारत ने बार-बार यह साफ किया है कि स्थानीय मुद्रा व्यापार और डी-डॉलराइजेशन अलग-अलग बातें हैं।”
भारत और अमेरिका में रिश्ते
भारत को लंबे समय से अमेरिका की विभिन्न सरकारों ने चीन के मुकाबले एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा है। अप्रैल में, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि “21वीं सदी का भविष्य अमेरिका और भारत की साझेदारी की ताकत से तय होगा।” हालांकि हालिया दिनों में इस रिश्ते में तनाव भी देखने को मिला है। ट्रंप ने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का श्रेय खुद को देते हुए कहा था कि उन्होंने इस सौदे के लिए व्यापार को एक सौदेबाज़ी उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया। मोदी सरकार ने इस दावे पर आपत्ति जताई थी।
भारत-US ट्रेड डील
भारत और अमेरिका इस साल एक व्यापक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में काम कर रहे हैं। विपक्षी सांसद और वरिष्ठ राजनयिक शशि थरूर, जिन्होंने पाकिस्तान संघर्ष के बाद से भारत की कूटनीतिक पहल की अगुवाई की, उनका कहना है, “भारत और अमेरिका के रिश्ते अच्छी स्थिति में हैं। अगर यह व्यापार समझौता हो जाता है, तो यह एक बेहद सकारात्मक संकेत होगा।”
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved