
मुंबई । महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Chief Minister Devendra Fadnavis) ने कहा कि प्रशासन मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) के लिए मनोज जरांगे (Manoj Jarange) के नेतृत्व में जारी प्रदर्शन पर बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के निर्देशों को लागू करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मराठा आरक्षण के मुद्दे के समाधान के लिए संभावित कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री का यह आश्वासन उच्च न्यायालय की ओर से यह टिप्पणी किए जाने के कुछ ही देर बाद आया कि जरांगे और उनके समर्थकों ने प्रथम दृष्टया शर्तों का उल्लंघन किया है। जज रवींद्र घुगे और जज गौतम अंखड की पीठ ने कहा कि चूंकि प्रदर्शनकारियों के पास आंदोलन जारी रखने के लिए वैध अनुमति नहीं है, इसलिए वह उम्मीद करती है कि राज्य सरकार उचित कदम उठाकर कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करेगी। अदालत ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि अब कोई भी प्रदर्शनकारी शहर में प्रवेश न कर सके, जैसा कि जरांगे ने दावा किया है।
उच्च न्यायालय ने मुंबई में सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह किया। साथ ही, जरांगे और उनके समर्थकों को हालात सुधारने व मंगलवार दोपहर तक सभी सड़कें खाली करने का अवसर दिया। मालूम हो कि मनोज जरांगे 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई स्थित आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वह मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग कर रहे हैं। उनके समर्थकों ने दावा किया कि जरांगे ने सोमवार से पानी पीना बंद कर दिया है।
मराठा प्रदर्शनों से संबंधित छिटपुट घटनाएं
सीएम फडणवीस ने कहा, ‘सरकार उच्च न्यायालय के निर्देशों को लागू करेगी।’ उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया कि कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मराठा प्रदर्शनों से संबंधित छिटपुट घटनाएं हुई हैं, जिन्हें पुलिस ने कुछ ही देर में संभाल लिया।’ उन्होंने कहा कि अदालत ने टिप्पणी की है कि मुंबई में विरोध प्रदर्शन के लिए दी गई इजाजत की शर्तों का कुछ उल्लंघन हुआ है। फडणवीस ने कहा, ‘मैं यात्रा कर रहा था, इसलिए मुझे ठीक से नहीं पता कि अदालत ने क्या टिप्पणी की। मुझे जानकारी मिली है कि अदालत ने पाया है कि मुंबई में विरोध प्रदर्शन के लिए दी गई अनुमतियों के संबंध में कुछ उल्लंघन हुए हैं। मुंबई की सड़कों पर जो कुछ भी हो रहा है, अदालत ने उस पर नाराजगी व्यक्त की है।’
सीएम फडणवीस ने क्या कहा
देवेंद्र फडणवीस ने विरोध प्रदर्शन के समाधान के संदर्भ में कहा, ‘बातचीत माइक पर नहीं हो सकती, हमें पता होना चाहिए कि किससे बात करनी है। हम अड़े नहीं हैं।’ उन्होंने कहा कि राज्य के कैबिनेट मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करने की इच्छा जताई है, लेकिन उनकी मांग माइक के सामने चर्चा करने की है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमारा अड़ियल रुख नहीं है। सरकार उनके ज्ञापनों का अध्ययन कर रही है, ताकि पता चल सके कि कोई सकारात्मक नतीजा निकल सकता है या नहीं। अगर उनकी तरफ से कोई बातचीत के लिए आगे आता है, तो समाधान निकालने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।’
कानूनी विकल्पों पर चर्चा
सीएम ने कहा कि आरक्षण आंदोलन से उत्पन्न स्थिति को लेकर उनकी अध्यक्षता में उपमुख्यमंत्रियों (अजित पवार और एकनाथ शिंदे) के साथ बैठक में प्रदर्शनकारियों की मांगों के संबंध में कानूनी विकल्पों पर चर्चा की गई। फडणवीस ने कहा, ‘हमने सभी कानूनी विकल्पों पर विचार-विमर्श किया और कानूनी समाधान तलाशने के लिए काम कर रहे हैं, जो अदालत में टिक सके।’ मुख्यमंत्री ने कुछ प्रदर्शनकारियों की ओर से महिला पत्रकारों के कथित उत्पीड़न की भी निंदा की। उन्होंने कहा, ‘ऐसी घटनाएं उचित नहीं हैं। पत्रकारों पर हमले और महिला पत्रकारों से छेड़छाड़ निंदनीय है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। पत्रकार रिपोर्टिंग कर रहे हैं और प्रदर्शनकारियों के विचारों को जनता तक पहुंचा रहे हैं।’ फडणवीस ने कहा कि राज्य ने 30 से अधिक मराठा मोर्चे देखें हैं जो अत्यंत अनुशासन और संयम के साथ आयोजित किए गए।
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