
डेस्क: यह अधिकारी हैं कर्नाटक (Karnataka) के धारवाड़ (Dharwad) में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (Additional Superintendent of Police) नारायण वेंकप्पा बारमानी (Narayan Venkappa Baramani). वह इन दिनों खूब चर्चा में हैं. उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारामय्या (CM Siddaramaiah) पर सार्वजनिक अपमान (Public Humiliation) का आरोप लगाते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) के लिए अर्जी दे दी है. मामला गर्माया हुआ है और लोग इस घटना को लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं.
नारायण का जन्म कर्नाटक में हुआ.उन्होंने 1994 में कर्नाटक पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर नौकरी शुरू की थी और अब 31 साल की सर्विस कर चुके हैं. उनकी पढ़ाई-लिखाई का पूरा ब्यौरा उपलब्ध नहीं है,लेकिन पुलिस सर्विस में आने के लिए ग्रेजुएशन होना जरूरी है ऐसे में कहा जा सकता है कि वह ग्रेजुएशन के बाद पुलिस सेवा में भर्ती हुए थे. वह कर्नाटक स्टेट पुलिस सर्विस (KSP) के तहत प्रमोशन पाकर ASP बने हैं. यानी उनकी शुरुआत नीचे से हुई और मेहनत से वे इस मुकाम तक पहुंचे.
1994 में सब-इंस्पेक्टर के रूप में शुरुआत करने वाले नारायण ने धीरे-धीरे तरक्की की और कई पदों पर काम किया, जिसमें पुलिस निरीक्षक (PSI) से लेकर ASP तक शामिल हैं.उनका करियर हमेशा आसान नहीं रहा. 2008 में कर्नाटक लोकायुक्त ने उन पर गलत तरीके से संपत्ति जमा करने का इल्जाम लगाया और उन्हें सस्पेंड कर दिया. हालांकि विभागीय जांच में वे बेकसूर पाए गए और 2017 में बागलकोट कोर्ट ने केस खारिज कर दिया. 2022 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया. इसके बाद वे फिर से ड्यूटी जॉइन की.
सारा बवाल बेलगाम में ‘संविधान बचाओ’ रैली के दौरान शुरू हुआ. नारायण उस वक्त सिक्योरिटी इंचार्ज थे.इसी दौरान कुछ महिलाओं ने काले झंडे दिखाकर नारे लगाए. इस पर मुख्यमंत्री सिद्धारामय्या नाराज हो गए और मंच से नारायण को बुलाकर उन पर हाथ उठाने की कोशिश की.वायरल वीडियो में दिखा कि सिक्योरिटी गार्ड्स ने बीच-बचाव किया लेकिन नारायण का अपमान हो गया. उन्होंने बाद में एक इमोशनल लेटर में लिखा कि मैंने कोई गलती नहीं की,फिर भी मुझ पर थप्पड़ मारने की कोशिश हुई. ये मेरे लिए मानसिक तौर पर बड़ा झटका था. टीवी पर दो दिन तक ये दिखाया गया, लेकिन न सीएम ने मुझे समझाया, न कोई सीनियर ऑफिसर ने सपोर्ट किया.
14 जून 2025 को उन्होंने VRS के लिए अर्जी दी और कहा कि सीएम के बर्ताव ने मेरी और पूरे कर्नाटक के सरकारी कर्मचारियों की हिम्मत तोड़ी. मैंने हमेशा ईमानदारी से काम किया, लेकिन बिना गलती के अपमान सहना पड़ा. अब मेरे पास इस्तीफा देने के सिवा कोई रास्ता नहीं.उनकी ये बातें सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही हैं.
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