
नई दिल्ली । कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) ने आगामी 22 सितंबर से राज्य में जातीय जनगणना (caste census) कराने का फैसला लिया है लेकिन उनका यह फैसला उनकी पार्टी के लिए मुसीबत बनती जा रही है क्योंकि राज्य के प्रभावशाली लिंगायत समुदाय (Lingayat Community) के लिए यह जनगणना उनकी धार्मिक पहचान के लिए एक बड़ी लड़ाई बन चुकी है। वैसे तो लिंगायत समुदाय जाति सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए तैयार है लेकिन समुदाय में इस बात को लेकर मतभेद है कि जाति गणना के सर्वे में लिंगायत समुदाय के सदस्यों को अपनी धार्मिक पहचान वीरशैव-लिंगायत के रूप में दर्ज करानी चाहिए या हिंदू के रूप में।
सिद्धारमैया सरकार में वन मंत्री ईश्वर खांड्रे ने हाल ही में वीरशैव-लिंगायत महासभा की ओर से बोलते हुए कहा कि समुदाय के सदस्यों को धर्म वाले कॉलम में ‘अन्य’ चुनना चाहिए और खुद को वीरशैव-लिंगायत के रूप में पहचान बतानी चाहिए। उन्होंने पिछले हफ़्ते कहा था कि उन्हें जाति वाले कॉलम में लिंगायत या वीरशैव और तीसरे कॉलम में अपनी उपजाति लिखनी होगी।
वन मंत्री पर भड़की भाजपा
विपक्षी भाजपा के लिंगायत नेताओं ने उनके इस सुझाव की निंदा की है और इसे कांग्रेस पार्टी की हिंदू वोटों को विभाजित करने और भाजपा के आधार को कमज़ोर करने के लिए जाति सर्वेक्षण का इस्तेमाल करने की रणनीति के रूप में देखा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हावेरी के भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई ने आरोप लगाया है कि वीरशैव लिंगायत महासभा पूरी तरह से कांग्रेस के साथ जुड़ गई है। उन्होंने कहा, “महासभा से मेरा अनुरोध है कि वह कानून और संविधान के अनुसार सलाह दे।
महासभा को भ्रम पैदा नहीं करना चाहिए…
ET की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आगे कहा, महासभा को भ्रम पैदा नहीं करना चाहिए… संविधान में केवल छह धर्मों का उल्लेख है, इसलिए केवल उन्हीं धर्मों के नाम लिखे जाने चाहिए।” पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया जाति सर्वेक्षण का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने भी कहा कि पार्टी का रुख स्पष्ट है। “हम हिंदू हैं और चाहते हैं कि इसे हमारे धर्म के रूप में उल्लेखित किया जाए। वीरशैव-लिंगायत का धर्म के रूप में कोई उल्लेख नहीं है।”
लिंगायत खुद को हिन्दू धर्म का अनुयायी नहीं मानते
बता दें कि लिंगायत खुद को हिन्दू धर्म का अनुयायी नहीं मानते हैं और एक अलग धर्म का दर्जा चाहते हैं, हालाँकि उन्हें आधिकारिक तौर पर ‘वीरशैव लिंगायत’ के रूप में हिन्दू उप-जाति में वर्गीकृत किया जाता है। लिंगायत संप्रदाय महात्मा बसवण्णा द्वारा 12वीं शताब्दी में स्थापित एक शैव मत है, जो शिव को एकमात्र देवता के रूप में पूजता है, मूर्ति पूजा नहीं करता और जाति प्रथा व वेदों का खंडन करता है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved