
वाराणसी। धर्मनगरी वाराणसी (Dharmanagari Varanasi) में देव दीपावली के आसपास आने वाले पर्यटकों (Tourists visiting around Dev Deepawali) को इस बार गंगा नदी में नौकायन (sailing in the river ganga) के दौरान अलग तरह का अनुभव होगा। इस दौरान उन्हें नदी के मध्य जहरीले धुएं से भी मुक्ति मिलेगी और नौकायन भी किफायती होगा। गेल इण्डिया कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (GAIL India Corporate Social Responsibility) के तहत इस कार्य को करने में जुटी हुई है। तेज आवाज वाले डीजल चालित स्टीमर और नावों को देव दीपावली तक सीएनजी बेस करने की योजना चल रही है।
योजना में बड़ी संख्या में सीएनजी नावों के सुगमता पूर्वक संचालन के लिए गंगा में ही फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन चलाने पर मंथन हो रहा है। घाट किनारे दो सीएनजी फिलिंग स्टेशन बनाने की तैयारी चल रही है। फिलहाल अस्थाई सीएनजी फिलिंग स्टेशन खिड़किया घाट पर चल रहा है। अफसरों के अनुसार खिड़कियां घाट पर ऐसा सीएनजी फिलिंग स्टेशन बनाया जा रहा है। जो बाढ़ के दिनों में भी नहीं डूबेगा। स्टेशन को फ़्लोटिंग जेटी पर बनाया जाएगा। जो बाढ़ के वक्त पानी में तैरता हुआ ऊपर उठ जाएगा और पानी घटते ही पूर्व स्थान पर समायोजित हो जायेगा।
स्टेशन में 14 डिस्पेन्सर लगाने की तैयारी चल रही है, जिसमें एक साथ 28 नावों में सीएनजी भरी जा सके। एक बार में लगभग 400 नावों में सीएनजी भरी जा सकेगी। प्रशासनिक अफसरों के अनुसार अभी तक 95 डीजल नावों को सीएनजी में बदला गया है। गंगा में लगभग 1700 नावों का संचालन हो रहा है। जिसमें से 750 नगर निगम में पंजीकृत है। नावों में सीएनजी लगने पर नाविकों को 50 प्रतिशत तक की बचत होगी। छोटी नाव को सीएनजी में बदलने पर लगभग 70 हजार और बड़ी नाव और बजरे में सीएनजी लगवाने के लिए दो लाख का खर्च आएगा। इसका दस प्रतिशत हिस्सा नाविकों को देना पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि सीएनजी बेस इंजन डीजल और पेट्रोल इंजन के मुकाबले 7 से 11 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है। सल्फर डाइऑक्सइड जैसे प्रदूषण फ़ैलाने वाले गैस के न निकलने से भी प्रदूषण कम होता है। जबकि सीएनजी इंजन के साथ ऐसा नही है। गंगा में नावों में लगे डीजल इंजन के तेज आवाज से जो कंपन होता है। उससे इंसान के साथ ही जलीय जीव जन्तुओं जहां असर पड़ता है। वहीं, इको सिस्टम भी बिगड़ने लगता है।
बताते चलें, सीएनजी में बदली गई एक-एक नाव का पिछले दिनों केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने ट्रायल रन भी कराया था। गंगा में सीएनजी नाव का सफल ट्रायल रन होते ही गेल व नगर निगम के अधिकारियों ने इसे विस्तार देने की तैयारी शुरू कर दी। कोरोना काल के चलते तैयारियों पर असर पड़ा। लेकिन देव दीपावली तक इसे सफलता पूर्वक चलाने की पूरी कोशिश हो रही है। गेल के अफसरों के अनुसार उनकी कम्पनी और नगर निगम के बीच नाव को सीएनजी में बदलने के लिए सीएसआर फंड के माध्यम से धन उपलब्ध कराने के लिए समझौता भी हुआ है। (एजेंसी, हि.स.)
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