
भोपाल। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत में शीघ्र ही कॉरपोरेट खेती के स्थान पर कोऑपरेटिव खेती होगी। केन्द्र सरकार शीघ्र ही नई सहकारिता नीति ला रही है। देश में सहकारिता विश्वविद्यालय खोला जायेगा। पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समिति) को बहुउद्देशीय बनाया जायेगा। मार्केटिंग के क्षेत्र में भारत सरकार आगामी एक माह में एक्सपोर्ट हाउस बनाने जा रही है। अमूल कुछ ही समय में देश में मिट्टी का परीक्षण एवं किसानों के उत्पाद का परीक्षण कर उन्हें जैविक प्रमाण-पत्र ‘अमूलÓ के नाम से देगा। इससे किसानों को अपनी फसलों का अधिक मूल्य मिलेगा और प्राकृतिक एवं जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। शाह भोपाल में नाफेड द्वारा आयोजित ‘कृषि विपणन में सहकारी संस्थाओं की भूमिकाÓ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए।
शाह ने कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को बहुउद्देशीय बनाने के उद्देश्य से एक माह में मॉडल एक्ट लेकर आयेंगे, जो इन्हें मजबूत एवं बहुआयामी बनायेगा। हर पैक्स को एफपीओ बनने की योग्यता प्राप्त हो जायेगी। वे मार्केटिंग के साथ ही भण्डारण, परिवहन सहित 22 प्रकार की गतिविधियाँ कर सकेंगी। पैक्स से अपेक्स तक मजबूत मार्केटिंग व्यवस्था होगी। शाह ने कहा कि भारत दलहन एवं तिलहन को छोड़ कर अन्य उत्पादों में आत्म-निर्भर हो चुका है। किसानों को अच्छा एमएसपी मूल्य दिलवाया जा रहा है। ई-नाम पोर्टल से 2 करोड़ रूपये से अधिक का व्यापार हो चुका है। हमारा कृषि निर्यात 50 विलियन डालर को पार कर चुका है। अब सहकारी संस्थाएँ जेम पोर्टल से न केवल खरीदी कर सकेंगी, बल्कि उत्पादों को बेच भी सकेंगी।
भारत के संस्कार में शामिल है सरकार: नरेंद्र तोमर
केंद्रीय कृषि और किसान-कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत के संस्कार में सहकार शामिल है। जितना सहकार बढ़ेगा उतनी ही देश प्रगति करेगा औरदेश की ताकत बढ़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में सहकारिता को नए आयाम दिए हैं। उन्होंने भारत में पृथक सहकारिता मंत्रालय का गठन किया औरनाफेड को कर्ज से बाहर निकाला। इफको एवं अमूल दुनिया के सबसे बड़े सहकारिता संगठन है। सहकारिता से जुड़ कर हम स्वयं एवं भारत को आत्म-निर्भर बनाये।
सबको साख-सबका विकास सहकारिता का मूल मंत्र: शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सबको साख-सबका विकास मध्यप्रदेश में सहकारिता का मूल मंत्र है। इस दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। सहकारिता भारत की मिट्टी एवं जड़ों में है। सर्वे भवन्तु सुखिन:, वसुधैव कुटुम्बकम यह सभी हमारे मंत्र है, जो सहकार की भावना को व्यक्त करते हैं। भारत सहकारिता के इतिहास में 6 जुलाई का दिन स्वर्ण अक्षर में लिखा जायेगा। इस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में पृथक सहकारिता मंत्रालय बनाया और अमित शाह को इसकी बागडोर सौंपी। अमित शाह ने सहकारिता को भारत में नई दिशा एवं गति दी है। उनके शब्दा कोष में असंभव शब्द नहीं है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सहकारिता का इतिहास 118 वर्ष पुराना है। वर्ष 2012-13 से किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है। अमित शाह ने फैसला किया है कि शीघ्र ही 3 लाख रूपये तक अल्पावधि फसल ऋण पर डेढ़ प्रतिशत अधिक ब्याज अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए हम उनके आभारी हैं। सरकार नई सहकारिता नीति बनाने जा रही है। प्रदेश में सहकारिता को स्व-रोजगार दिलाने का साधन बनाया जा रहा है। परम्परागत कारीगरों को सहकारी समिति के रूप में संगठित कर उनका कौशल संवर्धन किया जा रहा है। सहकारिता कानूनों में बदलाव एवं सरलीकरण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को 5 ट्रिलियन डालर की अर्थ-व्यवस्था बनाने के संकल्प को पूरा करने में सहकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved