
नई दिल्ली: भारत (India) के रक्षा मंत्रालय (Defense Ministry) ने 26 और 27 अगस्त को ‘रण संवाद-2025’ (Rann Samvad) नामक दो दिवसीय सेमिनार (Seminar) का आयोजन किया है. यह कार्यक्रम मध्यप्रदेश (madhya Pradesh) के महो (आर्मी वॉर कॉलेज, अंबेडकर नगर) में हो रहा है. यह आयोजन भारत के लिए उसी तरह महत्वपूर्ण है, जैसे ‘रायसीना डायलॉग’ या ‘शांग्री-ला डायलॉग’. इस संवाद में 17 मित्र देश शामिल हो रहे हैं.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान (Anil Chauhan) ने रण संवाद 2025 की शुरुआत करते हुए कहा कि अब युद्ध सिर्फ जमीन, समुद्र और आसमान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह साइबर और स्पेस तक फैल चुका है. ऐसे में हमारी प्रतिक्रिया भी एकीकृत, तेज और निर्णायक होनी चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य के युद्ध में सेनाओं के बीच की सीमाएं खत्म हो जाएंगी. यानी थल सेना, नौसेना और वायुसेना अलग-अलग काम नहीं कर सकतीं, बल्कि उन्हें एक साथ मिलकर काम करना होगा.
यही कारण है कि Jointmanship को अब एक सपना या लक्ष्य नहीं, बल्कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था का बुनियादी हिस्सा माना जा रहा है. जनरल चौहान के अनुसार, भारत की सेनाएं थिएटराइजेशन (Theaterisation), इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स और जॉइंट ट्रेनिंग के माध्यम से एक नई दिशा में बढ़ रही हैं. रण संवाद 2025 का मकसद है – सेनाओं में स्पष्ट उद्देश्य, साझा प्रयास और बेहतर संचालन समझ को बढ़ावा देना.
जहां रायसीना डायलॉग अधिकतर भू-राजनीति और रणनीति पर केंद्रित होता है, वहीं रण संवाद का मकसद केवल सैन्य मामलों और भविष्य के युद्ध पर चर्चा करना है. इस कार्यक्रम को तीनों सेनाएं – थल सेना, वायु सेना और नौसेना – बारी-बारी से आयोजित करेंगी. इसे Centre for Joint Warfare Studies की मदद से संचालित किया जाएगा.
भारतीय सेना के अधिकारियों का मानना है कि नई-नई तकनीकें युद्ध की प्रकृति और तरीके को बदल रही हैं. इसका सीधा असर युद्ध की तैयारी, रणनीति और सैनिकों की सोच पर पड़ रहा है. रण संवाद में शामिल सभी प्रतिभागी वही लोग हैं, जिनका असली काम देश की रक्षा करना है. इसलिए उन्हें यह समझना जरूरी है कि भविष्य के युद्ध में तकनीक किस तरह असर डालेगी और सेना को किस तरह के बदलावों की जरूरत होगी. इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा सचिव, डीआरडीओ प्रमुख, सेना के अधिकारी, सीएपीएफ, रक्षा विशेषज्ञ, शोधकर्ता, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और कई अन्य लोग शामिल होंगे.
‘रण संवाद-2025’ का यह पहला संस्करण मुख्य रूप से घरेलू वक्ताओं पर केंद्रित है. आने वाले वर्षों में इसमें विदेशी विशेषज्ञ भी वक्ता बनेंगे. भारत का उद्देश्य है कि भविष्य के युद्ध पर होने वाली वैश्विक बहस में भारत नेतृत्वकारी भूमिका निभाए. यह कार्यक्रम न सिर्फ भारत की रणनीतिक सोच को मजबूत करेगा, बल्कि शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में भी मददगार साबित होगा.
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