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‘बिहार SIR पर भ्रम भरोसे का मुद्दा, राजनीतिक दल खुद को सक्रिय करें’, सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

September 01, 2025

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारत (India) के चुनाव आयोग (Election Commission) के इस कथन पर संज्ञान लिया कि बिहार ड्राफ्ट रोल (Bihar Draft Roll) में मतदाता पंजीकरण (Voter Registration) के लिए दावे और आपत्तियों पर 1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी विचार किया जाएगा। कोर्ट ने आयोग के कथन पर संज्ञान लेते हुए 1 सितंबर की समय सीमा बढ़ाने का कोई आदेश पारित नहीं किया। कोर्ट ने बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण (Legal Services Authority) को सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश जारी करने का आदेश दिया कि वे मतदाताओं या राजनीतिक दलों को दावे, आपत्तियां, सुधार ऑनलाइन जमा करने में सहायता के लिए अर्ध-विधिक स्वयंसेवकों की नियुक्ति करें या उन्हें अधिसूचित करें। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके बाद प्रत्येक स्वयंसेवक को जिला एवं सत्र न्यायाधीश (District and Sessions Judge) को एक गोपनीय रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। स्वयंसेवकों से प्राप्त जानकारी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के स्तर पर एकत्र की जा सकती है।

इससे पहले निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत तैयार मतदाता सूची के मसौदे में दावे, आपत्तियां और सुधार 1 सितंबर के बाद भी दायर किए जा सकते हैं, लेकिन मतदाता सूची के अंतिम रूप देने के बाद ही इन पर विचार किया जाएगा। जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने निर्वाचन आयोग के इस कथन पर गौर किया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि तक दावे और आपत्तियां दायर की जा सकती हैं।


शीर्ष अदालत ने बिहार एसआईआर को लेकर फैले भ्रम को काफी हद तक विश्वास का मामला बताते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने में व्यक्तिगत मतदाताओं और राजनीतिक दलों की सहायता के लिए अर्ध-कानूनी स्वयंसेवकों को तैनात करे। कोर्ट ने राजनीतिक दलों से भी खुद को ‘सक्रिय’ करने को कहा।

निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘समय सीमा में किसी भी तरह का विस्तार पूरी प्रक्रिया और अंतिम मतदाता सूची को अंतिम रूप देने में बाधा उत्पन्न करेगा।’ चुनाव आयोग ने आगे कहा कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 2.74 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 फीसदी ने पात्रता संबंधी दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं। राजद के दावों (जिसमें 36 दावे दाखिल करने की बात कही गई थी) का खंडन करते हुए आयोग ने कहा कि पार्टी ने केवल 10 दावे दाखिल किए हैं।

द्विवेदी ने आगे कहा कि राजद पार्टी की ओर से अपनी याचिका में उल्लिखित 36 दावों को भी विधिवत स्वीकार कर लिया गया है। चुनाव आयोग ने कहा कि वह उन मतदाताओं को सात दिनों के भीतर नोटिस जारी करेगा, जिनके दस्तावेज अधूरे हैं। आयोग ने एसआईआर को निरंतर प्रक्रिया बताया। चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों की ओर से दायर अधिकांश दावे और आपत्तियां मतदाता सूची से नामों को शामिल करने के लिए नहीं, बल्कि हटाने के लिए थीं।

दूसरी ओर पीठ ने पैरालीगल स्वयंसेवकों को संबंधित जिला न्यायाधीशों के समक्ष गोपनीय रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और 8 सितंबर को उस पर विचार किया जाएगा। राजद और एआईएमआईएम ने चुनावी राज्य बिहार में चुनाव पुनरीक्षण प्रक्रिया में दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। मसौदा सूची में मतदाता नामों को शामिल करने या हटाने के लिए दावे और आपत्तियां दाखिल करने की अंतिम तिथि आज थी।

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