
इंदौर। मध्यप्रदेश में यदि दलबदल के दृष्टिकोण से देखा जाए तो बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेताओं ने ही अपनी पार्टी को गुड बाय कहा है। यह सारे नेता अपनी पार्टी छोडक़र भाजपा में शामिल हुए हैं। ऐसी स्थिति में कल कांग्रेस की ओर से एक अनूठे फैसले की घोषणा की गई। कांग्रेस ने कहा है कि दूसरे दल से कांग्रेस में आने वाले नेताओं को 5 साल तक कोई पद नहीं देंगे। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो उसके बाद सबसे बड़ा दलबदल हुआ था। इस दलबदल में एक साथ 28 विधायकों ने कांग्रेस छोडक़र भाजपा का दामन थाम लिया था। उसके बाद से अब तक सैकड़ों कांग्रेस नेता अपनी पार्टी छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अब तो स्थिति यह है कि कई बार चुनाव में कांग्रेस को मैदान में उतारने के लिए योग्य प्रत्याशी भी नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस द्वारा एक बड़ा और अनूठा फैसला लिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बताया कि पार्टी द्वारा यह तय किया गया है कि दूसरे दल से कांग्रेस में आने वाले नेताओं को 5 साल तक कोई पद नहीं दिया जाएगा। इन नेताओं को इस अवधि में कांग्रेस में कार्यकर्ता के रूप में काम करना होगा। जब यह अवधि पूरी हो जाएगी, तब पार्टी द्वारा इन नेताओं के बारे में फैसला लिया जाएगा।
उम्र का कोई बंधन नहीं
पटवारी ने कहा कि हाल ही में यह जानकारी सामने आ रही है कि प्रदेश में कांग्रेस द्वारा लागू किए गए नवसृजन अभियान में शहर और जिला अध्यक्ष की नियुक्ति में 45 वर्ष की उम्र का क्राइटेरिया रखा गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्तर पर यह जानकारी सार्वजनिक हो रही है। इस बारे में हकीकत यह है कि पार्टी द्वारा उम्र का कोई बंधन नहीं रखा गया है। व्यक्ति को उसकी योग्यता के आधार पर ही शहर और जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दी जाएगी।
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