नई दिल्ली (New Delhi)। भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI ) के अध्यक्ष के खिलाफ पहलवानों का विरोध (opposition to halwans) तेज होता जा रहा है। करीबी एक महीने से पहलवानों (wrestlers) का प्रदर्शन जारी है, जिसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। हाल ही में दिल्ली पुलिस ने पहलवानों को जंतर मंतर से हटा दिया था।
साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया (Sakshi Malik, Vinesh Phogat and Bajrang Punia) समेत देश के शीर्ष पहलवान मंगलवार को गंगा नदी में अपने मेडल बहाने पहुंचे थे लेकिन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत (National President Naresh Tikait) के अनुरोध के बाद पदक विसर्जन कार्यक्रम पांच दिनों के लिए स्थगित कर दिया। इस बीच पहलवानों के सपोर्ट में अब यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) आगे आया है। पहलवानों की सर्वोच्च संस्था UWW ने भारतीय कुश्ती संघ को बर्खास्त करने की धमकी दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन खिलाड़ियों के साथ कई दिनों से बुरा बर्ताव हो रहा है, उन्हें न्याय मिले। ये उन लोगों में से हैं, जो देश का मान बढ़ाते हैं, लेकिन मैं हरियाणा सरकार की भूमिका पर पूरी तरह से हैरान हूं। राज्य में भाजपा नेतृत्व क्या कर रही है? सड़कों पर बैठक न्याय की मांग कर रहे ये खिलाड़ी हमारे हरियाणा से हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश नेतृत्व कम से कम इतना तो कर सकती थी कि एक माध्यम के तौर पर काम करती और सुनिश्चित करती की उनकी आवाज सुनी जाए और न्याय मिले। हम पूरा विधायक दल जंतर मंतर गए थे और हमारी बेटियों के साथ एकता दिखाई थी।
वहीं 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस में तकरार खत्म करने के लिए हुड्डा ने बुधवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई थी। मीडिया रिपोर्ट में पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया गया कि हुड्डा के आलोचक माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी को भी बुलाया गया था, लेकिन दोनों नेताओं की ही बैठक में शामिल होने की संभावनाएं कम ही हैं। सुरजेवाला विदेश यात्रा पर हैं और 3 जून के बाद लौटेंगे। खास बात है कि इससे पहले कांग्रेस विधायक दल की बैठकें हुड्डा के आधिकारिक आवास पर होती थीं, लेकिन बुधवार की चर्चा पार्टी कार्यालय में होगी। कहा जा रहा है कि पार्टी आलाकमान राज्य में आंतरिक कलह खत्म करने पर जोर दे रहा रहा है। दरअसल, हरियाणा कांग्रेस नेता कर्नाटक (सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार) और राजस्थान (अशोक गहलोत और सचिन पायलट) के मामले को लेकर उम्मीद लगाए बैठे हैं।
हरियाणा में परेशानियां
एक रिपोर्ट के अनुसार, एक नेता ने कहा, ‘प्रदेश इकाई में क्या चल रहा है, यह पार्टी हाईकमान को देखना होगा। पार्टी का ग्राउंड लेवल कैडर अब तक तैयार नहीं हुआ है। इधर, पार्टी की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में वोट देने वाले 195 डेलीगेट्स की सूची तैयार की गई है, जिसपर कड़ी आपत्तियां जताई गईं। कई नेताओं ने दावा किया है कि उन्हें अहमियत नहीं दी गई और समर्थकों को ऐसे ही छोड़ दिया गया।’ खबर है कि कांग्रेस के एजेंडा में सबसे पहले पार्टी में तकरार को खत्म करना और भाजपा के खिलाफ जारी गुस्से का फायदा उठाना है।
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