
नई दिल्ली (New dehli) । असम (Assam) में करीब 37 फीसदी मुस्लिम (Muslim) हैं। लोकसभा (Lok Sabha) की कुल 14 में पांच सीटों पर मुस्लिम मतदाता सीधा असर डालते हैं। ऐसे में कांग्रेस (Congress) की अगुआई में अगर विपक्ष (Opposition) एकजुट होता है तो चुनाव में उसे फायदा (benefit) हो सकता है।
वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी आठ माह बाकी है, पर असम में राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जहां आगामी लोकसभा चुनाव में कम से कम 12 सीट जीतने का दम भर रहे हैं, वहीं कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर भाजपा को घेरने की तैयारी कर रही है।
विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (इंडिया) से पहले असम में कांग्रेस प्रदेश स्तर पर विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास कर रही है। इंडिया की तरह कांग्रेस 11 क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर एक सीट पर एक उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। ताकि, भाजपा को शिकस्त दी जा सके। कांग्रेस ने तय रणनीति के तहत मौलाना अजमल की अध्यक्षता वाली एआईयूडीएफ को अपनी इस मुहिम में शामिल नहीं किया है। वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन की वजह से नुकसान उठाना पड़ा था। क्योंकि, चुनाव में सांप्रदायिक मुद्दे हावी हो जाते हैं। हालांकि, एआईयूडीएफ विपक्षी एकता का हिस्सा बनना चाहता है। एआईयूडीएफ के एक नेता ने कहा कि उनके पास 15 विधायक हैं। विपक्षी दल उन्हें दरकिनार नहीं कर सकते। इस सिलसिले में एआईयूडीएफ ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी।
दरअसल, असम में करीब 37 फीसदी मुस्लिम हैं। लोकसभा की कुल 14 में पांच सीटों पर मुस्लिम मतदाता सीधा असर डालते हैं। ऐसे में कांग्रेस की अगुआई में अगर विपक्ष एकजुट होता है तो चुनाव में उसे फायदा हो सकता है। इसलिए, भाजपा ने भी अभी से अपनी चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने असम में नौ सीट पर जीत हासिल की थी। पूर्वोत्तर राज्य में उसका अब तक का यह सबसे अच्छा प्रदर्शन था। असम में परिसीमन की कवायद को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। विपक्ष आशंका जता रहा है कि परिसीमन में मुस्लिम बहुल सीटें खत्म कर दी जाएंगी।
वहीं, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा लगातार पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर केंद्र व राज्य सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। असम के साथ पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों पर भी उनकी नजर है। पूर्वोत्तर के सात राज्यों में 11 लोकसभा सीटें हैं। इसमें असम भी जोड़ लिया जाए तो 25 सीट होती हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि असम में लोकसभा चुनाव में मणिपुर हिंसा का भी असर पड़ सकता है। असम में बिष्णुप्रिया, मैतेई और कुकी की अच्छी खासी तादाद है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी है, मगर, मैतेई और बिष्णुप्रिया मतदाता भाजपा के पक्ष में और कुकी विरोध में वोट कर सकते हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved