
नई दिल्ली। केरल (Kerala) में सत्ता का सेमिफाइनल (Semi-finals) माने जा रहे अहम स्थानीय निकाय चुनावों (elections) के नतीजे अब धीरे-धीरे साफ होने लगे हैं. राज्य के 244 केंद्रों और 14 जिला कलेक्ट्रेट में वोटों की गिनती चल रही है, जहां कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ (UDF), और वाम दलों के गठबंधन एलडीएफ (LDF) के बीच कड़ी टक्कर दिख रही है. वहीं शुरुआती नतीजों में शानदार प्रदर्शन के बावजूद बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. यहां सभी की नजरें इन नतीजों पर हैं, क्योंकि इससे 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जनता का रुझान पता चलेगा.
केरल के 6 नगर निगम, 14 जिला पंचायत, 87 नगर पालिका, 152 ब्लॉक पंचायत और 941 ग्राम पंचायत के लिए चुनाव हुए थे. राज्य चुनाव आयुक्त ए शाहजहां ने गुरुवार को घोषणा की थी कि केरल में इस साल के स्थानीय निकाय चुनावों में 1995 के बाद से सबसे ज्यादा मतदान हुआ है.
राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, दो चरणों में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में दूसरे चरण में 76.08 प्रतिशत मतदान हुआ. वहीं 9 दिसंबर को हुई पहले चरण की वोटिंग में 70.91 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस हिसाब से निकाय चुनावों में कुल 73.69 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड हुआ.
जिला पंचायतों की बात करें तो अब तक आई 14 सीटों के नतीजों में से यूडीएफ और एलडीएफ ने 7-7 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं सबरीमाला स्वर्ण चोरी मामले में जेल में बंद सीपीएम नेता ए पद्मकुमार के वार्ड में भाजपा ने जीत हासिल की. अरनमूला पंचायत के सातवें वार्ड से भाजपा उम्मीदवार उषा आर नायर विजयी रहीं. वहीं तिरुवनंतपुरम नगर निगम के कोडुंगनूर डिवीजन से भाजपा उम्मीदवार वीवी राजेश ने जीत हासिल की है. राजेश भाजपा के महापौर पद के संभावित उम्मीदवार माने जा रहे नेता हैं.
केरल निकाय चुनाव में 152 ब्लॉक पंजायतों के नतीजें अब तक साफ हो चके हैं. इसमें यूडीएफ 70 सीटों के साथ सबसे आगे चल रही है. वहीं 66 सीटें जीतकर एलडीएफ दूसरे स्थान पर, जबिक एनडीए को 2 सीटों पर जीत मिली है. वहीं 11 पंचायतों में मुकाबला टाई रहा है.
अब तक आए 941 ग्राम पंचायत के रिजल्ट में से कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ ने 360 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं 350 सीटों पर सीपीएम की अगुवाई वाले एलडीएफ को 350 सीटें, बीजेपी नीत एनडीए को 32, जबकि 18 सीटों पर अन्य को जीत मिली है.
इससे पहले 2020 के स्थानीय निकाय चुनावों में सत्ताधारी एलडीएफ को भारी जीत मिली थी. एलडीएफ ने राज्य के 5 निगम, 43 नगरपालिकाएं, 11 जिला पंचायतें और 514 ग्राम पंचायतें अपने नाम की थीं. वहीं यूडीएफ ने कन्नूर नगर निगम के अलावा 41 नगरपालिकाओं, 3 जिला पंचायतों और 321 ग्राम पंचायतों में जीत हासिल की थी. दूसरी तरफ एनडीए ने 3 नगरपालिकाओं और 19 ग्राम पंचायतों में सत्ता हासिल की. कासरगोड और वायनाड जिला पंचायतों में एलडीएफ और यूडीएफ के बीच मुकाबला टाई रहा था, जिसे लॉटरी निकालकर सुलझाया गया. इसमें कासरगोड एलडीएफ को और वायनाड यूडीएफ को मिला.
रिपोर्ट्स के अनुसार, LDF को भरोसा है कि वह त्रिशूर को छोड़कर उन सभी कॉर्पोरेशनों पर अपना कब्जा बनाए रखेगी. उसे उम्मीद है कि वह मलप्पुरम, वायनाड और एर्नाकुलम को छोड़कर सभी जिला पंचायतों पर भी कब्जा कर लेगी.
वहीं, UDF ने तीन कॉर्पोरेशन एर्नाकुलम, त्रिशूर और कन्नूर के अलावा छह जिला पंचायतों और 500 से ज्यादा ग्राम पंचायतें जीतने लक्ष्य रखा है. इनमें एर्नाकुलम, पठानमथिट्टा, वायनाड और मलप्पुरम की जिला पंचायतें शामिल हैं.
BJP के लिए ये निकाय चुनाव राज्य की जमीनी राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. भगवा दल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उसे उम्मीद है कि वह तिरुवनंतपुरम और त्रिशूर कॉर्पोरेशनों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी. लोकसभा चुनावों में त्रिशूर जीतने के भरोसे के साथ, BJP पूरे राज्य की नगर पालिकाओं में अपनी उपस्थिति का महत्वपूर्ण विस्तार करने पर नजर गड़ाए हुए है.
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