
नई दिल्ली । लोकसभा नेता प्रतिपक्ष (Lok Sabha Leader of Opposition) और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) ने शनिवार को तेलंगाना (Telangana) में भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘कुछ साल पहले, कांग्रेस पार्टी में हम पूरी तरह से फंसे हुए और अलग-थलग महसूस करते थे। यह एक नई, आक्रामक और एक ऐसी राजनीति है, जिसमें विपक्ष से बात नहीं की जाती बल्कि विपक्ष को कुचलने का विचार होता है। हम अपने इतिहास में वापस पहुंचे और हमने कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल चलने का फैसला किया। कन्याकुमारी से हमारी यात्रा शुरू हुई और जैसे हम धीरे-धीरे आगे बढ़े तो धीरे-धीरे और लोग भी हमारी यात्रा में शामिल होते चले गए।’
राहुल गांधी ने कहा, ‘हमारा विपक्ष वास्तव में सुनना नहीं जानता क्योंकि उनके पास पहले से ही सारे जवाब हैं। उन्हें ठीक-ठीक पता है कि क्या करना है। मगर, यह पूरी तरह से गलत है क्योंकि यह जनता है जो जानती है कि क्या करना है। एक चीज है जिसमें हम सोशल मीडिया और सभी आधुनिक संचार विधियों के साथ असफल रहे हैं, तो वह यह है कि राजनेताओं के रूप में अपनी जनता हमें जो बताने की कोशिश कर रही है, उसे गहराई से सुनने में विफल हैं। यही वह स्थान है जहां हम वास्तव में काम कर सकते हैं क्योंकि हमारे विरोधियों ने इस जगह को पूरी तरह से खाली कर दिया है, वे वहां नहीं हैं, उनका वहां कोई वजूद नहीं है।’
भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी ने क्या सीखा
राहुल गांधी ने कहा कि मैंने उस यात्रा से मुख्य रूप से 2 चीजें सीखीं। उन्होंने कहा, ‘दुनिया भर में हमारे विपक्ष का गुस्सा, डर और नफरत पर एकाधिकार है। हम उनके साथ गुस्सा, डर और नफरत के मामले में कभी भी मुकाबला नहीं कर पाएंगे। वे हमें हर बार डर, गुस्सा और नफरत में मात देंगे। हमें पीछे छोड़ देंगे और हर बार हरा देंगे। सवाल यह है कि हम कहां और कैसे काम करें? वे कौन से स्थान हैं जहां हमें लाभ है? वे कौन से स्थान हैं जहां से हम प्रतिवादात्मक कथा बना सकते हैं?’
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